2जी के पूरे मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ ही, कैबिनेट सचिवालय ने भी अपनी भूमिका सही तरीके से नहीं निभाई। दोनों ही कार्यालय तत्कालीन दूर संचार मंत्री ए. राजा पर लगाम लगाने में नाकाम रहे हैं। साथ ही, अटॉर्नी जनरल जी. ई. वाहनवती और तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। संसद की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष डॉ. मुरलीमनोहर जोशी ने आज देश के सबसे बड़े घोटाले की परतें खोलते हुए यह खुलासा किया।
उन्होंने कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी के बारे में वित्त मंत्री एवं दूरसंचार मंत्री को संयुक्त राय से फैसला लेना था लेकिन मौजूदा सरकार के दूरसंचार मंत्री ने बिना वित्त मंत्रालय की राय के अपने शुभेच्छुओं वाली कम्पनी को रेवड़ी की तरह बांट दिया। इसके चलते सरकार और देश को भारी आर्थिक नुकसान हुआ।
डा. जोशी ने कहा कि गरीब जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा धन्ना सेठों, भ्रष्ट मंत्रियों एवं अधिकारियों की जेबों में जाए, हम ऐसा नहीं होने देंगे। भ्रष्ट मंत्री एवं अधिकारी किस रास्ते से पैसा खाते हैं इसका किसी को पता नहीं चलता। जनता के धन की लूट की जांच में जो भी आड़े आएगा उसे बख्शा नहीं जाएगा। चाहे वह देश के प्रधानमंत्री ही क्यों नहीं हो।
2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच रिपोर्ट और भ्रष्टाचार जैसे ज्वलंत मुद्दे पर व्याख्यान देने जयपुर आए संसद की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष और वरिष्ठ भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी का कहना है कि लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार द्वारा लौटाई गई रिपोर्ट के भविष्य पर अब नवगठित पीएसी फैसला करेगी। रिपोर्ट को पीएसी सदस्यों के समक्ष रखा जाएगा। समिति ही अब यह फैसला करेगी कि रिपोर्ट का क्या किया जाना है।
जोशी ने यह बताने से इनकार कर दिया कि क्या इस विवादास्पद रिपोर्ट पर समिति की बैठक में फिर मतदान हो सकता है। संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन हो जाने के चलते क्या अब नवगठित पीएसी को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन की जांच करनी चाहिए, इसे लेकर कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के साथ ही भाजपा, जदयू तथा अन्य दलों के बीच भी मतभेद हैं। रिपोर्ट लौटाए जाने के संबंध में उन्होंने कहा कि यह उनकी अपनी नहीं, बल्कि पीएसी की रिपोर्ट है।इस पर फैसला करना लोकसभा अध्यक्ष का विशेषाधिकार है और उन्होंने इसे लौटा देने का फैसला किया है।
जोशी बहुत जल्द केजी बेसिन में गैस के दाम तय करने में एक कंपनी को अनावश्यक फायदा पहुंचाए जाने तथा सरकारी खजाने को भारी नुकसान की जांच का प्रस्ताव दे सकते हैं। अब यह पीएसी के सदस्यों को तय करना है कि इस गंभीर मामले की जांच की जाए अथवा नहीं। पीएसी की अगली बैठक इसी महीने होने की संभावना है।
केजी बेसिन में कथित घोटाले का मसला सीएजी की हाल ही में लीक हुई ड्राफ्ट रिपोर्ट से उजागर हुआ है। हालांकि जोशी ने यह भी जोड़ा कि पीएसी को इस मामले पर जांच शुरू करने के लिए सीएजी की रिपोर्ट आने का इंतजार करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने याद दिलाया कि टूजी मामले में भी पीएसी ने सीएजी की रिपोर्ट आने से महीनों पहले अपनी पड़ताल शुरू कर दी थी।
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