अमरनाथ यात्रा को लेकर जम्मू एवं कश्मीर सरकार तथा हिंदू संगठनों के बीच एक बार फिर टकराव की स्थिति बनती नजर आ रही है। सरकार ने अमरनाथ यात्रा की शुरुआत के लिए 29 जून की तिथि निर्धारित की है, जबकि विश्व हिंदू परिषद [विहिप] और बजरंग दल 15 जून से ही इसकी शुरुआत चाहते हैं।
दरअसल, हिंदू संगठन 13 अगस्त को समाप्त हो रही यात्रा का समय डेढ़ महीने से बढ़ाकर दो महीने करना चाहते हैं, इसलिए वे 15 जून से इसकी शुरुआत करना चाहते हैं। वहीं, श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड का कहना है कि यात्रा का समय यात्रियों की सुरक्षा और मौसम को ध्यान में रखते हुए निर्धारित किया गया है। अपनी मांगें नहीं माने के बाद विहिप ने घोषणा की है कि वह 15 जून से ही तीर्थयात्रा की शुरुआत करेगी।
इसके लिए उसने बोर्ड के समानांतर पिछले महीने से तीर्थयात्रियों का पंजीकरण भी शुरू कर दिया है।बोर्ड के अनुसार अब तक 2,50,000 श्रद्धालुओं ने यात्रा के लिए पंजीकरण कराया है, वहीं हिन्दू संगठनों ने पंजीकृत यात्रियों की संख्या 'लाखों' में बताई है।
राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा था कि उनकी सरकार 29 जून से पहले यात्रा की अनुमति नहीं देगी। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विहिप के अध्यक्ष रमाकांत दुबे ने कहा कि मुख्यमंत्री ऐसा कश्मीर में अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों को खुश करने के लिए कर रहे हैं।
इससे पहले विहिप के राष्ट्रीय सचिव ने कहा था कि यदि सरकार अमरनाथ गुफा जाने के रास्ते की सफाई कराने में अक्षम है तो उनका संगठन इसे करा लेगा। अमरनाथ गुफा पहुंचने के दो रास्ते-बालतल-संगम मार्ग और पहलगाम मार्ग हैं और इन पर बर्फ की करीब तीन से पांच फुट मोटी चादर बिछी है।
इस बीच, भारतीय जनता पार्टी [भाजपा] की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य जितेंद्र सिंह ने कहा है कि यात्रियों की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है।
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