टीम अन्ना को जन लोकपाल बिल पारित होने पर अब भी संदेह है। टीम के सदस्य प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार और राजनीतिक दलों पर अभी भी भरोसा नहीं किया जा सकता। इन पर कड़ी नजर रखनी होगी, ताकि संसद में पारित प्रस्ताव के अनुकूल जन लोकपाल बिल पारित हो सके। उन्होंने मांग की कि सरकार संसद का विशेष सत्र बुला कर एक महीने के भीतर बिल पारित कराए।
टीम अन्ना को डर इस बात का है कि मामला स्थायी संसदीय समिति में लटक सकता है। उसे लगता है कि 27 अगस्त को संसद में पारित प्रस्ताव का हश्र संसदीय समिति में जाने के बाद वही हो सकता है जो बाकी प्रस्तावों का होता है।
जिस तरह इस बिल के साथ जनभावना जुड़ी हुई है, उसे देखते हुए सरकार के लिए इसे लटकाना आसान नहीं होगा। राजनीतिक विश्लेषक योगेंद्र यादव मानते हैं कि अगर सरकार यह बिल लाने में देरी करती है या कमजोर विधेयक लाती है तो भ्रष्टाचार से निपटने के मामले में उसकी विश्वसनीयता खत्म हो जाएगी। यह जोखिम सरकार को कदम पीछे खींचने से रोकेगा।
yesa bhi ho saktha hai keya?
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
ReplyDeleteयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।