इलाहाबाद इंजीनियर कॉलेज की थर्ड ईयर की छात्रा मिस फातिमा और नौरीन मुस्तफा ने कहा कि आज मोदी जी ने 'काफा' नहीं पहना तो उन्हें हमारे समुदाय का दुश्मन बताया जा रहा है।
अगर वो काफा पहन लेते तो क्या वो हमारे लिए दोस्त साबित हो जाते? ये बाते सिर्फ और सिर्फ उन लोगों के लिए मायने रखतीं है जो कि धर्म के नाम पर राजनीति करते हैं और राम-रहीम को बांटते हैं।
अगर वो काफा पहन लेते तो क्या वो हमारे लिए दोस्त साबित हो जाते? ये बाते सिर्फ और सिर्फ उन लोगों के लिए मायने रखतीं है जो कि धर्म के नाम पर राजनीति करते हैं और राम-रहीम को बांटते हैं।
जिनके अपने गोधरा दंगो के शिकार हुए हैं, उनका गम तो कोई नहीं भर सकता और इतनी बड़ा त्रासदी का जिम्मेदार कोई अकेला नहीं हो सकता है। इसलिए इन दंगों के लिए केवल मोदी जी को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं होगा। वो इस बात के लिए दोषी हैं या नहीं इसका फैसला कानून करेगा लेकिन इस बात को मु्द्दा बनाकर कुछ लोग अपनी राजनैतिक रोटियां सेंक रहे हैं।
जो लोग मुस्लिम समुदाय के हितैषी बनते हैं और मोदी को गलत ठहराते हैं, हम उनसे पूछते हैं कि उन्होंने हमारे और हमारे समुदाय के लिए क्या किया है? किसी के ऊपर दोषारोपण करने से ही लोगों का भला नहीं हो जाता है। इसलिए हम अपने समुदाय और देश की जनता से अपील करते हैं कि वो इस तरह की बातों को तूल ना दें और धर्म के नाम पर होने वाली राजनीति से दूर रहें। तभी इस देश का और इस देश के लोगों का भला हो सकता है।
गौरतलब है कि इन दिनों गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी उपवास पर हैं, अपने उपवास के दौरान मोदी ने 'काफा, जो कि एक तरह का स्कार्फ होता है जिसे मुस्लिम समुदाय के लोग पहनते हैं, को पहनने से इंकार कर दिया। एक मुस्लिम शख्स ने मोदी को 'काफा' भेंट किया। मोदी साहब ने उस शख्स का अभिवादन तो स्वीकार कर लिया लेकिन काफा नहीं पहना जिसके बाद से विरोधियों ने कहना शुरू कर दिया कि मोदी जी ने दोबारा मुस्लिम समुदाय का अपमान किया है।
इससे पहले सद्भावना उपवास के दौरान भी एक मुस्लिम गुरू ने उन्हें अपने समुदाय की टोपी पहनानी चाही थी लेकिन उन्होंने मना कर दिया था।
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