गुजरात हाईकोर्ट ने सोमवार को निलंबित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें दो दशक पुराने एक मामले में राहत देने की मांग की गई थी।मामला साल 1990 में जामनगर जिले में हुए कथित पुलिस अत्याचार से संबंधित है जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति आर एच शुक्ला ने भट्ट की याचिका को खारिज करते हुए आदेश पर आठ नवंबर तक के लिए रोक लगा दी ताकि वह इसे आगे चुनौती दे सकें।
इसके अलावा उन्होंने जामनगर सत्र न्यायालय से कहा कि वह भट्ट के खिलाफ इस संबंध में आरोप तय नहीं करे।गुजरात सरकार ने सोमवार को स्थानीय अदालत के समक्ष दावा किया कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अर्जुन मोधवाडिया भी उस अपराध में शामिल हैं जिसके लिए निलंबित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को गिरफ्तार किया गया है।
विशेष लोक अभियोजक एस वी राजू ने सत्र न्यायाधीश वी के व्यास की अदालत में भट्ट की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए यह आरोप लगाया। भट्ट को सबूतों के साथ कथित तौर पर छेड़छाड़ करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।जमानत अर्जी पर सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी, क्योंकि सरकार की ओर से दलीलें अब तक पूरी नहीं हुई हैं।
भट्ट को एक कांस्टेबल को झूठे हलफनामे में हस्ताक्षर कराने के लिए धमकाने और दबाव डालने के आरोप में 30 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने गोधरा कांड के बाद मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 27 फरवरी 2002 को बुलाई गई बैठक में अपनी मौजूदगी के संबंध में कांस्टेबल पर गलत हलफनामा देने का दबाव बनाया।कांस्टेबल के डी पंत की ओर से कुछ महीने पहले दर्ज कराई गई प्राथमिकी के अनुसार, पुलिसकर्मी को भट्ट 16 जून की रात मोधवाडिया के आवास पर ले गए थे।
विशेष लोक अभियोजक ने कहा कि फोन कॉल के रिकॉर्ड बताते हैं कि मोधवाडिया ने पंत की ओर से कथित तौर पर हलफनामा तैयार करने वाले वकील को उस दिन मध्यरात्रि के बाद कई बार फोन किया और तड़के करीब तीन बजे एसएमएस भी भेजे।राजू ने कहा कि इस बात की फोन कॉल रिकॉर्ड तथा वकीलों और नोटरी के बयानों से पुष्टि होती है।
यह दर्शाता है कि भट्ट के साथ ही कांग्रेस नेता भी अपराध को अंजाम देने में संलिप्त हैं।उन्होंने जानना चाहा कि मोधवाडिया जैसे कांग्रेस नेता को ऐसे वक्त पर पंत से बात करने की क्या जरूरत थी।राजू ने कहा कि इससे साबित होता है कि कांस्टेबल 'मनगढंत और झूठे' हलफनामे पर हस्ताक्षर च्रने का इच्छुक नहीं था।
पंत ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि 16 जून की रात को भट्ट उन्हें मोधवाडिया के आवास पर ले गए थे। कांग्रेस नेता ने उन्हें आश्वासन दिया था कि चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है और उन्हें भट्ट के निर्देशों को मानना चाहिए।
0 comments :
Post a Comment