लोकपाल बिल को लेकर राहुल गांधी ने एक ही बार संसद में अपनी बात रखी और लोकपाल-लोकायुक्त को संवैधानिक दर्जा देने की मांग कर खुद को इस बहस में गेम चेंजर की तरह ला खड़ा किया।
हालांकि आज उनका ये सपना चकनाचूर हो गया जब इस बाबत लोकसभा में संविधान संशोधन प्रस्ताव लेकर आई सरकार को मुंह की खानी पड़ी और प्रस्ताव बहुमत के अभाव में खारिज हो गया।राहुल की मांग को सरकार और कांग्रेस ने अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया था।
हालांकि आज उनका ये सपना चकनाचूर हो गया जब इस बाबत लोकसभा में संविधान संशोधन प्रस्ताव लेकर आई सरकार को मुंह की खानी पड़ी और प्रस्ताव बहुमत के अभाव में खारिज हो गया।राहुल की मांग को सरकार और कांग्रेस ने अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया था।
यही वजह है कि लोकसभा में इस मुद्दे पर मिली हार का ठीकरा अब वो बीजेपी व एनडीए के सिर फोड़ रही है। जब लोकसभा में प्रस्ताव गिरा तो सदन के नेता प्रणब मुखर्जी ने इसे लोकतंत्र के लिए दुखद दिन बताया। कार्मिक मंत्री नारायण सामी ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि बीजेपी का आज पर्दाफाश हो गया है। वहीं केंद्रीय मंत्री राजीव शुक्ला ने कहा कि बीजेपी ड्रामेबाज है और अब अन्ना हजारे को इन्हें अपने मंच पर नहीं चढ़ने देना चाहिए।दूसरी ओर बीजेपी सरकार को पटखनी देकर उत्साहित है। उसने कहा है कि ये सरकार की हार है और उसे अब सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं है।
बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि सरकार के पास जब बहुमत था ही नहीं तो वो क्यों संविधान संशोधन प्रस्ताव लेकर आई। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी एक झूठा सपना कांग्रेसियों को दिखा रहे थे वो टूट गया है। दूसरा सपना राहुल यूपी का दिखा रहे हैं वो वहां विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद टूट जाएगा।
Rahul's nothing value.
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