इस आंदोलन ने देश के युवाओं को संगठित कर दिया है। उनकी आवाज को एक कर दिया और यह सुनिश्चित कर दिया है कि जब युवा खड़े होंगे तो देश में बदलाव आएगा। यह भारत के लिए एक नया अनुभव है।
पिछले दो तीन हफ्तों से मैं भी इस बहस को सुन-देख रहा हूं। मुझे लगता है कि संसद और देश के लोगों के बीच एक खाई पैदा की जा रही है। यदि ऐसा है तो फिर यह देश के भविष्य के लिए खतरा है।
जब आप इतिहास को पढ़ते हैं तो यह एहसास होता है कि गुलामी के वक्त सरकार सर्वोपरि थी लेकिन आजादी के बाद देश की जनता सर्वोपरी हो गई। आज बीजेपी और कई अन्य पार्रटियों ने संसद में देश की जनता के प्रति विश्वास जाहिर किया है। यह लोगों की आस्था का सम्मान है। हम यह कह सकते हैं कि यह एक शांत क्रांति थी। लेकिन यह भी सच है कि यह शांत नहीं रही है। इस क्रांति ने देश को जगा दिया है।
आज देश हमारी ओर उम्मीद से देख रहा है। देश को हम पर विश्वास है। पिछले दो हफ्तों में हमने देखा है कि लोग इस बात पर बहस कर रहे हैं कि संसद की गरिमा को बचाया जाना चाहिए। लेकिन यहां सवाल यह है कि सांसदों की गरिमा की हम ख्याल रखते हैं तो फिर लोगों की गरिमा का ख्याल कौन रखेगा।
हमे यह स्वीकार करना पड़ेगा की लोग ही सर्वोपरि है। हमारे लोकतंत्र में एक बार चुने जाने के बाद नकारे जाने का प्रवाधान नहीं है। लोग ही हमारी ताकत हैं। हमें जनता की आकांक्षाओं पर खरा उतरा चाहिए। आज हम भ्रष्टाचार पर बहस कर रहे हैं। इस बात पर बहस कर रहे हैं कि क्या संसद का यह बहस सत्र बुलाया जाना सही है या नहीं। मैं इस बात पर बहस नहीं करना चाहूंगा।
मैं उत्तर प्रदेश से आता हूं। उत्तर प्रदेश और बिहार के कई इलाकों में बाढ़ आ गई है। लोगों को ज्यादा से ज्यादा हजार रुपए की राहत मिलती हैं। लेकिन जब हम कॉमनवेल्थ या २जी घोटाले पर नजर डालते हैं तो यह लाखों करोड़ में होता है। यह इतनी रकम होती है जिससे कई हजार गांवों का विकास किया जा सकता है। कई हजार कॉलेज खोले जा सकते हैं।
लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। आप मेरी आवाज को बंद नहीं कर सकते। मैं सवाल करता हूं कि क्या हमारे देश में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त नहीं हो गई है? तथ्य अभी भी वही है।
हमारे सभी व्यवस्थाएं टूट गई हैं। कारण हमारे पास धन नहीं है। कितनी योजनाए हैं जो सही उद्देश्य के साथ शुरु की जाती हैं लेकिन पैसे की कमी के कारण पूरी नहीं हो पाती। क्यों? हम भ्रष्टाचार की बात कर रहे हैं। लेकिन क्या हमारे पास भ्रष्टाचार से लड़ने का कोई सिस्टम है? क्या हम न्यायव्यवस्था, सतर्कता विभाग, सीबीआई पर सवाल नहीं उठा सकते?
देश की सड़कों से आ रही आवाजों से साफ होता है कि हमारे देश में अब कोई व्यवस्था नहीं रह गई है। हम ये क्यों सोच लेते हैं कि एक बार चुने जाने के बाद हम ही सबकुछ हैं। हमें यह समझना होगा कि युवा सड़क पर क्यों हैं।
वो सड़क पर इसलिए हैं कि हमारे देश को भ्रष्टाचार ने ध्वस्त कर दिया है। रिश्वत देकर नौकरी पाने वाले उम्र भर के लिए अपना आत्मसम्मान खो देते हैं। युवा सड़क पर इसलिए हैं क्योंकि वो सम्मान से जीना चाहते हैं। रिश्वत और भ्रष्टाचार सिर्फ एक खास वर्ग को ही प्रभावित नहीं करता है। इससे हमारा पूरा समाज प्रभावित होता है।
इस बात को बार बार कहा जा रहा है कि अन्ना हजारे के आंदोलन के पीछे बीजेपी है। लेकिन तथ्य यही है कि यह आंदोलन लोगों का है। ये वो ज्वालामुखी है जो लंबे वक्त से शांत था। लेकिन आज अन्ना हजारे और लोगों के पीछे खड़े होकर बीजेपी सम्मानित महसूस कर रही है। और अब हम सामने आकर इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं।
मेरे जीवन का सबसे अच्छा अनुभव वह था जब मैं रामलीला मैदान में युवाओं के बीच जाकर बैठा। वहां एक व्यक्ति ने मुझसे कहा कि अन्ना हजारे एक व्यक्ति नहीं है एक सोच है। वो हमारे देश को फिर से महान बनाने के लिए इस सोच की जीत आवश्यक है। मैं सिर्फ यह कह रहा हूं कि हम सब लोग, चाहे कांग्रेस हो, हम हो या वामपंथी हो उन्हें हमारे देश के नवनिर्माण के लिए इस सोच को जिताना चाहिए।