
दुगनी उम्र के पुरुष के साथ जबरन ब्याह दी गई सहर अब जिंदा लाश है। उसे ससुराल का हुक्म न मानने की ऐसी सजा मिली जिसे देखकर बेहरम भी रो पड़े।
लेकिन सहर अकेली नहीं है जिसने ससुरालियों के जुर्म सहे। अफगानिस्तान में तालिबान के जाने के बाद भी औरतों की नियति में कोई खास फर्क नहीं आया है।
अफगानिस्तान में औरतें अब भी महज सामान के मानिंद इस्तेमाल की जाती है। यहां महिला अधिकार नाम की चीज नहीं है। अफगान औरतों के पहरुआ बने अफानिस्तान के पुरुष समाज में सजा के नाम पर औरतों के साथ वहशीपन करने की खुली छूट है।
0 comments :
Post a Comment