लंदन स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स के प्रोफेसर एमेरिटस और मशहूर अर्थशास्त्री लॉर्ड मेघनाद देसाई ने महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांत पर सवाल उठाए हैं। लॉर्ड देसाई ने गांधी द्वारा भगवद् गीता का अनुमोदन किए जाने पर उनके अहिंसा के दर्शन पर उंगली उठाई है।
देसाई ने कहा कि वे इस बात से परेशान रहते थे कि अहिंसा की मूर्ति महात्मा गांधी ने भगवद् गीता और हिटलर की प्रशंसा करके हिंसा को स्वीकृति क्यों दी? 'हिंसा पर गांधीजी के विचार' विषय पर आयोजित एक लेक्चर में लॉर्ड मेघनाद देसाई ने यह राय दी है।
उन्होंने कहा, 'मैंने यह विषय इसलिए चुना क्योंकि मैं हिंसा पर गांधी जी के विचार पर कुछ सवाल खड़े करना चाहता था। मैं दो मुद्दे उठाऊंगा। पहला, भगवद् गीता को मिली गांधी जी की स्वीकृति, जिसमें अंत में यही सार निकलता है कि हर किसी को दूसरे को मार देना चाहिए।
दूसरा मुद्दा, गांधी जी का हिटलर के प्रति रवैया जो विश्वास से परे था। यह एक ऐसे शख्स के विचार थे जो अहिंसा में आस्था रखता था। गांधी जी ने मांसाहारी हिटलर की तारीफ करते हुए उनकी बौद्धिकता, शुद्ध चरित्र की तारीफ की।
यह कैसे हो सकता है कि गांधी जी की बौद्धिक स्तर का कोई शख्स हिटलर को लेकर इतनी बड़ी भूल कर सकता है? यह कैसे हो सकता है कि किसी के खाने या पीने की आदतें उसके गुण माने जा सकते हैं?'
बंधू, ये मेघनाद, गांधी की इज्जत उतारने के चक्कर में श्रीमदभागवत गीता के बारे में भी अनर्गल बक रहा है. यह मेघनाद भी नेहरू का चमचा रहा है.
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