राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा बाहर से देखकर संघ को समझ पाना बहुत मुश्किल है। यह संगठन स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुष को आदर्श मानकर परिस्थितियों का डटकर सामना करने में विश्वास करता है।
उन्होंने स्वयंसेवकों को भारत माता को देवी और उनके हर पुत्र को भाई मानते हुए राष्ट्र सेवा करने की नसीहत दी।वह रविवार को यहां अवध प्रांत से जुड़े 22 जिलों के स्वयंसेवकों की सभा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि संघ स्वयंसेवकों के बूते चलता है। उनकी संख्या ही हमारा प्राण है। इसी संख्या बल से हमारा आत्मबल बढ़ता है और हमारी वाणी का प्रभाव पड़ता है।भागवत ने कहा कि संघ के लिए शाखा ही सब कुछ है। शाखा में एक भी सदस्य की अनुपस्थिति का पूरे संघ पर प्रभाव पड़ता है। भागवत ने कहा कि जब परिवेश ठीक रहेगा तभी देश का विकास होगा।
हमारे संतों-महापुरुषों ने परिवेश को ठीक करने के लिए ही जीवन समर्पित कर दिया। इसी कारण वे हमारे आदर्श बने हैं।उन्होंने स्वामी विवेकानंद की अयोध्या यात्रा जिक्र करते हुए बंदरों से उनके संघर्ष व डटकर खड़े होने पर बंदरों के भागने के प्रसंग का उल्लेख किया। कहा कि डटकर खड़े होने अथवा परिस्थितियों का सामने करने से ही विजयश्री मिलती है। भारत माता को देवी व उनके प्रत्येक पुत्र को अपना भाई मानकर कर्म करने की आवश्यकता है। इस कार्य में यदि तरुणाई भी जुट जाय तो देश की तकदीर बदल जाएगी।
सर संघचालक ने कहा कि हमें हिंदू होने का अभिमान करना चाहिए। देश में स्वार्थ के आधार पर राजनीति हो रही है और जातिवाद का जहर घोला जा रहा है। इन परिस्थितियों से उबरते हुए हमें योग्य भारत का निर्माण करना होगा। उन्होंने कहा कि संकट के समय आपकी सुसुप्त शक्तियां जाग्रत हो जाती हैं।
यदि हम इसी को हमेशा जाग्रत रखें तो हर लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत को अपने इतिहास-संस्कृति से सबक लेकर आगे बढ़ना चाहिए।इस अवसर पर विहिप के संरक्षक अशोक सिंघल, सह संघचालक देवेंद्र प्रताप, प्रांत संघ चालक धीरज अग्रवाल भी मौजूद रहे। संचालन अनिल मिश्र ने किया।
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