स्वीडन के पूर्व पुलिस प्रमुख स्टेन लिंडस्ट्रोम ने दावा किया है कि बोफोर्स तोप दलाली मामले के आरोपी इतालवी व्यापारी ओत्तावियो क्वात्रोच्चि को बचाने में पूर्व प्रधानमंत्री ने अहम भूमिका निभाई थी
काफी समय तक राजीव गांधी का नाम भी इस मामले के अभियुक्तों की सूची में शामिल रहा लेकिन उनकी मौत के बाद नाम फाइल से हटा दिया गया। सीबीआई को इस मामले की जांच सौंपी गयी लेकिन सरकारें बदलने पर सीबीआई की जांच की दिशा भी लगातार बदलती रही। एक दौर था, जब जोगिन्दर सिंह सीबीआई चीफ थे तो एजेंसी स्वीडन से महत्वपूर्ण दस्तावेज लाने में सफल हो गयी थी। जोगिन्दर सिंह ने तब दावा किया था कि केस सुलझा लिया गया है। बस, देरी है तो क्वात्रोक्की को प्रत्यर्पण कर भारत लाकर अदालत में पेश करने की। उनके हटने के बाद सीबीआई की चाल ही बदल गयी। इस बीच कई ऐसे दांवपेंच खेले गये कि क्वात्रोक्की को राहत मिलती गयी। दिल्ली की एक अदालत ने हिंदुजा बंधुओं को रिहा किया तो सीबीआई ने लंदन की अदालत से कह दिया कि क्वात्रोक्की के खिलाफ कोई सबूत ही नहीं हैं। अदालत ने क्वात्रोक्की के सील खातों को खोलने के आदेश जारी कर दिये। नतीजतन क्वात्रोक्की ने रातों-रात उन खातों से पैसा निकाल लिया।
इटालियन व्यवसायी ओट्टावियो क्वात्रोची, जिसका नाम बोफोर्स घोटाले में का़फी उछला, के गांधी परिवार के साथ घनिष्ठ संबंध थे और उनके घर में बेरोकटोक आना-जाना था. यह नया खुलासा आईबी के एक अफसर नरेश चंद्र गोसांई और क्वात्रोची के ड्राइवर शशिधरण ने सीबीआई के सामने किया. गोसांई स्वर्गीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी की एसपीजी सुरक्षा में था और बाद में 1987 से 1989 के बीच सोनिया गांधी का पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर भी रहा था. खुलासे के मुताबिक़, राजीव गांधी के कार्यकाल में क्वात्रोची और उसकी पत्नी मारिया का प्रधानमंत्री आवास में बेरोकटोक आना-जाना था. 1993 में भारत से भागने के पहले तक गांधी परिवार के घर पर क्वात्रोची की आवाजाही बनी रही. शशिधरण का बयान क्वात्रोची की कार की लॉगबुक पर आधारित है, जो कि स्नैम प्रोगेत्ती नाम की इटालियन कंपनी द्वारा रखी जाती थी और जिसका रीजनल डायरेक्टर क्वात्रोची था.
गोसांई के मुताबिक़, प्रधानमंत्री आवास पर निजी गाड़ियों के आने पर सख्त रोक है. बस क्वात्रोची और उसकी पत्नी के लिए ही कोई नियम-क़ानून नहीं था. गोसांई कहते हैं कि प्रधानमंत्री आवास के अंदर जाने के लिए पास बनवाना ज़रूरी होता है, लेकिन क्वात्रोची और उसके परिवार के सदस्यों के लिए पहले से ही हमेशा एक पास तैयार रहता था, ताकि वे कभी भी आ-जा सकें. प्रधानमंत्री आवास पर तैनात होने वाले सारे एसपीजी अधिकारी क्वात्रोची और उसके परिवारजनों को पहचानते थे, जिसकी वजह से उनकी पहचान की जांच नहीं होती थी.
2007 में रेड कार्नर नोटिस के बल पर ही क्वात्रोक्की को अर्जेन्टिना पुलिस ने गिरफ्तार किया। वह बीस-पच्चीस दिन तक पुलिस की हिरासत में रहा। सीबीआई ने काफी समय बाद इसका खुलासा किया। सीबीआई ने उसके प्रत्यर्पण के लिए वहां की कोर्ट में काफी देर से अर्जी दाखिल की। तकनीकी आधार पर उस अर्जी को खारिज कर दिया गया, लेकिन सीबीआई ने उसके खिलाफ वहां की ऊंची अदालत में जाना मुनासिब नहीं समझा। नतीजतन क्वात्रोक्की जमानत पर रिहा होकर अपने देश इटली चला गया। पिछले बारह साल से वहइंटरपोल के रेड कार्नर नोटिस की सूची में है। सीबीआई अगर उसका नाम इस सूची से हटाने की अपील करने जा रही है तो इसका सीधा सा मतलब यही है कि कानून मंत्रालय, अटार्नी जनरल और सीबीआई क्वात्रोक्की को बोफोर्स मामले में दलाली खाने के मामले में क्लीन चिट देने जा रही है।
गांधी परिवार से क्वात्रोची की निकटता बोफोर्स कांड में उसका नाम आने के बाद भी बनी रही. शशिधरण के बयान के अनुसार, 1985 में क्वात्रोची और मारिया क्वात्रोची राजीव और सोनिया के घर दिन में दो-तीन बार आते थे. शशिधरण क्वात्रोची की डीआईए 6253 नंबर की मर्सिडीज चलाता था. शशि कहता है कि जब कभी भी सोनिया गांधी के माता-पिता भारत आते थे, तब वह उन्हें क्वात्रोची के घर ले जाता था. वे दिन भर वहीं रहते थे और मारिया क्वात्रोची उन्हें खरीदारी के लिए घुमाने ले जाती थी. वे साल में 4 या 5 बार भारत आते थे. शशिधरण की कार लॉगबुक के रिकॉर्ड के अनुसार, क्वात्रोची 1989 से 1993 के बीच सोनिया और राजीव से 41 बार मिला.
ग़ौरतलब है कि क्वात्रोची और सोनिया गांधी, 1991 में राजीव गांधी की मृत्यु के बाद भी एक-दूसरे से पहले की ही तरह मिलते रहे. शशि कहता है कि मई 1991 के बाद क्वात्रोची 21 बार दस जनपथ गया. जब क्वात्रोची भारत छोड़ रहा था, तब शशि ड्राईवर ने खुद 29 जुलाई 1993 को उसे एयरपोर्ट तक पहुंचाया था. उस वक्त क्वात्रोची के पास एक ब्रीफकेस के अलावा कुछ नहीं था और उसने शशि से कहा कि वह एक जरूरी मीटिंग के लिए जा रहा है. यह अजीब बात थी, क्योंकि आमतौर पर जब भी क्वात्रोची को कार चाहिए होती थी तो वह पहले शशि को बता देता था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ.
इन सारे खुलासों पर भारत सरकार खामोश है और सोनिया गांधी भी, जबकि सीबीआई को दिए गए बयान पर सरकार की प्रतिक्रिया आनी चाहिए और सोनिया गांधी की भी.
0 comments :
Post a Comment