पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के लिए अलग से परिचय पत्र जारी किया जाएगा। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हिंदुओं से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान पाक प्रशासन ने इस बात का भरोसा दिया कि अल्पसंख्यक हिंदुओं के लिए जल्द ही अलग से कंप्यूटराइज राष्ट्रीय पहचान पत्र (सीएनआईसी) जारी किए जाएंगे। इसमें वे विवाहित महिलाएं भी शामिल होंगी, जो कार्ड पाने के लिए परेशानियों का सामना कर रही हैं।
रजिस्टर्ड हिंदू विवाह के लिए कोई कानून नहीं:
आश्वासन के बाद, मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने परिचय पत्र प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रही महिलाओं के मामले का निपटारा किया। मालूम हो कि कोर्ट ने खुद ही मामले को संज्ञान में लिया था। दरअसल पाकिस्तान में रजिस्टर्ड हिंदू विवाह कि लिए कोई कानून नहीं है। इस लिए वहां की महिलाएं अपने विवाह का सबूत नहीं दे पाती हैं और उन्हें पहचान पत्र से भी वंचित कर दिया जाता है।
पहचान पत्र जारी करने के नियमों में बदलाव पर विचार:
परिचय पत्र जारी करने वाले नेशनल डेटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी (एनएडीआरए) के लीगल डायरेक्टर ने कोर्ट को बताया कि इस मसले पर एनएडीआरए की जल्द ही एक बैठक होगी, जिसमें हिंदुओं को कंप्यूटराइज राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करने के सरकारी नियम में बदलाव के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा। इस मामले में 30 मार्च को आखिरी सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा था कि एनएडीआरए द्वारा एक सर्कुलर जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि अधिकारियों को निर्देश दिया गया था कि विवाहित हिंदू महिलाओं द्वारा विवाह का एक हलफनामा दाखिल किए जाने के बाद उन्हें सीएनआईसी जारी किया जाए।
हिंदुओं के अधिकारों की हो सके रक्षा:
हालांकि अदालत ने यह माना था कि इस तरह के सर्कुलर हिंदुओं को पूरी कानूनी सहायता नहीं दे सकते। इसके लिए या तो कानून में बदलाव किया जाना चाहिए या फिर एनएडीआरए के चेयरमैन द्वारा कुछ ऐसे नियम बनाए जाने चाहिए, जो हिंदू नागरिकों को आई कार्ड जारी करना सुनिश्चित कर सकें। सोमवार की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एनएडीआरए के चेयरमैन से कहा कि वह नियमों में कुछ ऐसे संशोधन करे, जिससे हिंदुओं के अधिकारों की रक्षा हो सके। साथ ही कोर्ट ने एनएडीआरए चेयरमैन को यह आदेश दिया कि इस संशोधन की कॉपी रजिस्ट्रार के पास जमा की जाए। साथ ही पीठ ने यह भी कहा था कि लोगों की जागरूकता के लिए इस संशोधन संबंधित प्रस्ताव को अखबारों में प्रकाशित कराया जाना चाहिए।
विवाहित महिलाओं के लिए बड़ी राहत:
इस फैसले का सबसे बड़ा फायदा पाक हिंदू महिलाओं को मिलेगा। क्योंकि वहां हिंदू विवाह का पंजीकरण किए जाने की व्यवस्था नहीं है। इसके लिए कोई कानून हीं है। यही कारण है कि वहां की महिलाएं अपने विवाह का कोई सबूत नहीं दे पाती हैं।
प्रेम सरी माई के मामले से जागी कोर्ट:
- वर्ष 2009 में पाक की शीर्ष अदालत ने एक अखबार में छपे आर्टिकल के बाद इस मामले को अपने हाथ में लिया था। इस लेख में बताया गया था कि किस प्रकार से पाक नागरिक प्रेम सरी माई को एक धार्मिक अनुष्ठान के लिए भारत जाने के लिए पासपोर्ट बनवाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
- प्रेम सरी माई के पास उनकी नागरिकता से संबंधित कोई पहचाना पत्र नहीं था। पाकिस्तान में हिंदू विवाह के लिए कोई नियम नहीं होने के कारण उनको और उनके पति को परेशानियों से जूझना पड़ा।
- लेख में बताया गया था कि प्रेम सरी माई को अपना पासपोर्ट पाने के लिए काफी बड़ी रकम घूस के रूप में देनी पड़ी थी। प्रेम सरी ने जब एनएडीआरए में पासपोर्ट के लिए प्रार्थनापत्र जारी किया तो वह आश्चर्य चकित रह गईं क्योंकि प्रशासन ने उन्हें विवाहित महिला माना ही नहीं। साथ ही उन पर अपने पति के साथ अवैध संबंध रखने के भी आरोप लगे।
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