लोगों के पास खाने को अनाज नहीं है और पंजाब में खुले में रखा गेहूं सड़ रहा है. पंजाब के शहीद भगत सिंह नगर जिले की बंगा तहसील में गेहूं की डेढ़ लाख से ज्यादा बोरियां खुले में पड़ी हैं. बारिश में भीगने से इसमें से काफी सारा गेहूं सड़ गया है. यह हाल उस देश का है जहां की 37 फीसदी से ज्यादा आबादी को दो जून की रोटी भी बड़ी मुश्किल से मुहैया हो पाती है.
जिस बारिश से खेतों में फसलें लहलहाती हैं उसी बारिश से यहां देश का गेहूं सड़ रह है और बदबू मार रहा है. लेकिन सड़ते गेहूं की बदबू भी पंजाब मार्कफेड विभाग के अधिकारियों की नींद नहीं तोड़ पाई है.
पंजाब मार्कफेड के अधिकारियों के मुताबिक, 'साल 2009-10 वित्तीय वर्ष में गेहूं की करीब 2.34 लाख बोरियां इस जगह रखी गई थीं. बाद में एफसीआई यानी भारतीय खाद्य निगम ने गेहूं की 64,000 बोरियां खरीद लीं. लेकिन एफसीआई ने बाकी के अनाज को मापदंडों पर पूरा न पाने की वजह से खरीदने से इंकार कर दिया और तब से गेहूं की ये बोरिया यहां पड़ी हैं.'
बारिश से बचाने के लिए बोरियों को ढकने की कोशिश भी हुई. लेकिन बारिश हुई और अनाज भीग गया.
पंजाब मार्कफेड के अधिकारियों से जब इस बारे में सवाल किए गए तो उन्होंने अनाज के भंडारण की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया. अधिकारियों ने दावा किया कि उन्होंने महकमे को कई बार चिट्ठी लिखकर अनाज के बारे में जानकारी दी थी लेकिन कोई जवाब नहीं आया.
गौरतलब है कि साल 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि सही भंडारण नहीं होने की वजह से सड़ते अनाज को क्यों नहीं गरीबों में बांट दिया जाता. तब सड़ते अनाज के मामले ने काफी तूल पकड़ा था, लेकिन पंजाब में सड़ते गेहूं की बोरियां इस बात का सबूत हैं कि हालात अब भी नहीं बदले हैं.
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