सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) ने कहा है कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2002 में गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों पर लगाम कसने के लिए हरसंभव कदम उठाए थे। एसआईटी ने दंगों के चार साल बाद एक दंगा पीड़ित द्वारा मोदी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के मकसद पर भी सवाल खड़ा किया।
जाकिया जाफरी की शिकायत पर निचली अदालत में पेश अपनी रिपोर्ट में एसआईटी ने कहा कि दंगों के दौरान मारे गये कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की विधवा जाकिया द्वारा लगाया गया कोई आरोप विचारणीय नहीं है। घटना के चार साल बाद शिकायत दर्ज कराने के मकसद पर भी एसआईटी ने सवाल खड़ा किया।
मोदी पर 27 फरवरी 2002 को एक बैठक में शीर्ष पुलिस अधिकारियों को हिंदुओं को गोधरा कांड के मद्देनजर अपना गुस्सा जाहिर करने देने के लिए कहने संबंधी आरोपों पर एसआईटी ने कहा कि इस तरह के आरोपों को लगाने का कोई आधार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एसआईटी ने यह भी कहा कि अगर इस तरह के आरोपों को दलीलों के लिहाज से मान भी लिया जाए तो कोई अपराध नहीं बनता। एसआईटी की रिपोर्ट न्यायमित्र राजू रामचंद्रन की रिपोर्ट के विरोधाभासी है। रामचंद्रन ने कहा था कि अलग-अलग समूहों के बीच शत्रुता फैलाने के मामले में मोदी पर मुकदमा चलाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के वकील रामचंद्रन ने निलंबित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की गवाही पर रिपोर्ट केंद्रित की थी। भट्ट ने शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामे में आरोप लगाया था कि मोदी ने शीर्ष पुलिस अधिकारियों को दंगाइयों पर नरमी बरतने का निर्देश दिया था।
एसआईटी रिपोर्ट के अनुसार, ‘मोदी ने कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठकें कीं और हालात को संभालने के लिए सबकुछ किया गया।’ रिपोर्ट के अनुसार सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए समय पर सेना को बुलाया गया। एसआईटी ने कहा, ‘मोदी हालात पर लगाम लगाने, दंगा पीड़ितों के लिए राहत शिविर बनाने और स्थिति को शांतिपूर्ण एवं सामान्य करने के लिहाज से कदम उठाने में व्यस्त रहे।’
मुख्यमंत्री पर गैरकानूनी आदेश देने के आरोप के संबंध में रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पुलिस अधिकारियों आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट ने मुख्यमंत्री द्वारा कथित गैरकानूनी निर्देशों पर जो कहा है उसके संबंध में कोई आधार नजर नहीं आता।’ रिपोर्ट के अनुसार, ‘अगर दलीलों के लिए इन आरोपों को मान भी लें तो किसी कमरे की चार दीवारों में महज कथित शब्दों का बयान कोई अपराध नहीं तय करता।’
एसआईटी ने कहा, ‘विस्तृत जांच और शामिल लोगों के संतोषप्रद स्पष्टीकरण के मद्देनजर नरेंद्र मोदी के खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं बनता।’ रामचंद्रन की रिपोर्ट के संबंध में सीबीआई के पूर्व निदेशक आरके राघवन की अध्यक्षता वाली एसआईटी ने कहा कि न्यायमित्र ने केवल भट्ट के बयानों पर किसी नतीजे पर पहुंचकर ‘भूल की’ है।
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