यूपीए सरकार में खाने की चीजों की कीमतों दोगुनी हो गई हैं। सरकार ने ही खुद इस बात को माना है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2004 से अप्रैल 2012 के बीच होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) में सभी चीजों की कीमतों में 63 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
अगर केवल खाने की चीजें देखी जाएं, तो इंडेक्स में 98 से 206.04 यानी दोगुने से भी ज्यादा बढ़ोतरी दिखाई देती है। इसका सीधा सा मतलब यह है कि आप 2004 में यूपीए सरकार के आने से पहले खाने पर जितना खर्च करते थे, अब आपको उसके दोगुने से भी ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है।
टाइम्स ऑफ इंडिया और क्रिसिल (क्रेटिड रेटिंग एजेंसी) की 60 चीजों के बारे में की गई स्टडी में पता चला है कि केवल एक चीज सस्ती हुई है और वह है अदरक। बाकी सभी चीजों की कीमतें बढ़ी हैं। चाय, चिकन, हल्दी, प्याज, नारियल, लहसुन, अमरूद और पपीता की कीमतें 63 फीसदी से कम बढ़ी हैं।
इस महंगाई का सबसे ज्यादा असर गरीबों पर हुआ है, क्योंकि तुलनात्मक रूप से उनकी इनकम का ज्यादा हिस्सा खाने पर जाता है। बहुत मामूली सी राहत यह मानी जा सकती है कि बाकी चीजों की तुलना में अनाजों की कीमतें कम बढ़ी हैं। बाकी चीजों की कीमतों में 90 फीसदी की बढ़ोतरी की तुलना में गेहूं और चावल की कीमतों में 80 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थ जैसे दूध, अंडा, मीट और मछली की कीमतें दोगुने से ज्यादा बढ़ी हैं। हालांकि किचन के बजट को सबसे ज्यादा नुकसान सब्जियों की कीमतों ने पहुंचाया है। सब्जियों की कीमतों में 171 फीसदी की बढ़त हुई है। यानी अगर आप 2004 में सब्जियों पर हर महीने 3000 रुपए खर्च करते थे, तो अब आपको 5000 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। पत्ता गोभी की कीमत सबसे ज्यादा बढ़ी हैं। 2004 से इसकी कीमत 6.5 गुनी हो गई हैं। भिंडी की कीमत 4.5 गुनी बढ़ी है। आलू और बैंगन की कीमतें 111 से 140 फीसदी के बीच बढ़ी हैं।
फलों की कीमतें 90 फीसदी बढ़ी हैं। हालांकि आम, संतरे, सेब और पाइन ऐपल की कीमतें दोगुनी हो गई हैं। मसालों में काली मिर्च की कीमतें सबसे ज्यादा 335 फीसदी बढ़ी हैं। कॉफी की कीमतें 269 फीसदी बढ़ी हैं।
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