संसद में कारपोरेट लॉबी की उंगलियों पर सांसद कैसे नाच रहे हैं, इसकी बृहस्पतिवार को उस समय पोल खुल गयी जब राज्यसभा के नेता विरोधी दल अरुण जेटली सदन में जाने को तैयार नहीं हुए.
भाजपा के अंदर भी दो धड़े हो गए जिसमें एक विधेयक के समर्थन में था तो दूसरा धड़ा कारपोरेट की उस लॉबी के साथ था जो विधेयक को रोकना चाहती थी.
पार्टी सांसदों के काफी मान मनौव्वल के बाद जब सदन में जेटली पंहुचे तो कड़ा रुख अपनाया. तब कहीं जाकर कॉपीराइट संशोधन विधेयक राज्यसभा में सरकार को लाना पड़ा. भाजपा के अंदर कॉपीराइट संशोधन विधेयक को लेकर सांसदों की एक लॉवी पक्ष में नहीं थी पर अरुण जेटली के दवाब में भाजपा ने उसका समर्थन किया.
कॉपीराइट संशोधन विधेयक को लंबे समय से लाने की कवायद राज्यसभा सदस्य जावेद अख्तर कर रहे थे. कॉपीराइट विधेयक के लाने से संगीत घरानों की कारपोरेट लॉबी को बड़ा नुकसान था.
इसलिए बड़ी कंपनिया इस विधेयक को रोकने में लग गई. कांग्रेस और भाजपा दोनों के बीच संगीत से जुड़ी बड़ी कंपनियां सक्रिय हुई और विधेयक को सदन में न रखा जाए उसके लिए पूरी तैयारी हुई. कारपोरेट लॉबी के कारण भाजपा में भी दो धड़े हो गए. एक तो कॉपीराइट के समर्थन में दूसरा विधेयक के विरोध में.
जेटली इस बात से काफी आहत थे कि कारपोरेट लॉबी के इशारे पर विधेयक को नहीं रोकने की कोशिश हो रही है. लेखकों, साहित्यकारों और गीतकारों का भी अपना दर्द है. कॉपीराइट संशोधन विधेयक न लाया जाए इसके लिए भाजपा की ओर से कई सांसद सक्रिय रहे और सदन में हंगामा किया जिससे कि यह लटक जाए.
इस बीच सदन में जेटली मौजूद नहीं थे. भाजपा के कई सांसद जेटली के पास आए कि सदन में चलें क्योंकि पार्टी के ही कुछ लोग कारपोरेट लॉबी के इशारे पर विधेयक को लटकाने के लिए हंगामा कर रहे हैं. हालांकि वह गुट काफी हद तक सफल भी रहा और सदन को 10 मिनट के लिए रोकना पड़ा.
खुद जावेद अख्तर भी अरुण जेटली को मनाने के लिए आए कि चलें और पार्टी के लोगों को समझाएं. बाद में जब फिर सदन शुरू हुआ तो जेटली सदन में काफी मानमनौव्वल के बाद पंहुचे और भाजपा और सरकार के अंदर कारपोरेट लॉबी के खेल को समेटा और फिर संशोधन विधेयक पर चर्चा शुरू करायी जा सकी.
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