राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने पिछले कुछ सालों से वार्षिक अमरनाथ यात्रा की अवधि घटाये जाने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए सरकार से इस बारे में जवाब मांगा और तीर्थयात्रा को पूरी अवधि तक निकाले जाने की अनुमति देने की मांग की। जेटली ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि पवित्र गुफा मंदिर के लिए निकाली जाने वाली वार्षिक अमरनाथ तीर्थयात्रा में पिछले कुछ सालों से एक ओर यात्रियों की संख्या बढ़ती जा रही है, वहीं इस यात्रा की अवधि लगातार घटती जा रही है।
उन्होंने कहा कि पिछले साल आठ लाख लोगों ने अमरनाथ यात्रा में हिस्सा लिया था। उन्होंने कहा कि इस यात्रा से कश्मीर के लोगों को भी लाभ मिलता है क्योंकि या़त्रा के लिए सभी सेवाएं वे ही मुहैया कराते हैं। उन्होंने कहा कि विचित्र बात है कि अलगाववादियों के एक वर्ग के कारण इस यात्रा की अवधि घटाई जा रही है। इस अवधि को घटाने के पीछे सुरक्षा का कारण बताया जाता है। जेटली ने कहा कि 1950 के दशक में यह यात्रा चार माह चलती थी। 2010 में यह घट कर महज 54 दिन, 2011 में 44 दिन ही रह गई।
उन्होंने कहा कि इस साल इसे घटा कर 39 दिन करने की बात है। जेटली ने कहा कि आतंकवादियों ने इस तीर्थ यात्रा पर हमला किया था और कुछ लोगों की जान गई थी। लेकिन अब राज्य में आतंकवाद का खतरा उतना अधिक नहीं है। सुरक्षा की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है इसलिए सरकार को यात्रा को उसकी पूरी अवधि में निकालने की कोशिश करनी चाहिए।
जेटली ने मांग की कि सरकार को इस मामले में बयान देना चाहिए। भाजपा के ही एम वेंकैया नायडू ने सदन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के बैठे होने की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि यह लाखों लोगों की धार्मिक भावनाओं से जुड़ा मुद्दा है। प्रधानमंत्री को इस मामले में जवाब देना चाहिए। इस पर भाजपा के सदस्यों ने अपने स्थानों पर खड़े हो कर इस बात की मांग शुरू कर दी कि सरकार को जवाब देना चाहिए। सदस्यों को शांत कराते हुए पीठासीन अध्यक्ष पी जे कुरियन ने कहा कि वह आसन से सरकार को जवाब देने का निर्देश नहीं दे सकते।
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