शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती ने कहा है कि हिंदुस्तान में गर्भपात को गैरकानूनी घोषित कर देना चाहिए.
उनके मुताबिक, 'पहले हमारे भारत में कानून था कि भ्रूण हत्या को मनुष्य हत्या माना जाता था. चाहे वो लड़के की हत्या हो या लड़की की हत्या हो. सरकार ने ये गलती की कि भ्रूण हत्या को जायज घोषित कर दिया. अब आप ये कहने जा रहे हैं कि कन्य भ्रूण हत्या को रोको. तो कन्या शब्द जो आप लगाते हैं तो भ्रूण देखने के लिए वो कन्या को देख लेते हैं और जब कन्या का पता लग जाता है तो हत्या तो हो ही जाएगी. अगर आपको उसकी हत्या रोकनी है तो गर्भस्थ शिशु की हत्या रोक दीजिए.'
अब सवाल यह है कि गर्भपात पर रोक लगाने की शंकराचार्य की मांग कितनी जायज है? दुनिया भर में इस मुद्दे पर लगभग एक ही राय है. चाहे अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, रूस या जर्मनी जैसे देश हों हर जगह गर्भवती महिलाओं को कुछ खास शर्तों के साथ गर्भपात कराने का अधिकार है. खासकर तब जब कोख में पल रहे बच्चे की वजह से मां की जान खतरे में हो या बलात्कार की वजह से उसे अनचाहा गर्भ ठहरा हो. भारत में भी कुछ इसी तरह का कानून है.
भारत में गर्भवती महिलाओं को कुछ शर्तों के साथ गर्भ ठहरने के 20 हफ्ते तक गर्भपात कराने की इजाजत है. ये शर्तें इस प्रकार हैं:
अगर गर्भ धारण करने की वजह से मां की जान खतरे को खतरा हो.
बलात्कार की वजह महिला को अनचाहा गर्भ ठहरा हो.
कोख में भ्रूण का सही विकास नहीं हो रहा हो.
इसके अलावा अगर किसी वजह से महिलाएं गर्भ धारण करने के 12वें हफ्ते से लेकर 20वें हफ्ते के बीच गर्भपात करना चाहती हैं तो उनके लिए दो मान्यता प्राप्त डॉक्टरों की लिखित सिफारिश जरूरी है.
यही नहीं कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए 1994 में भारत सरकार ने गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के लिंग परीक्षण को भी गैरकानूनी करार दे दिया है. लेकिन इन सब के बावजूद भी देश में मां के कोख में ही बेटियों को बदस्तूर मारा जा रहा है.
0 comments :
Post a Comment