जम्मू एवं कश्मीर पर सरकार द्वारा नियुक्त वार्ताकारों की गुरूवार को सार्वजनिक हुई रिपोर्ट का भाजपा ने विरोध किया है। पार्टी ने रिपोर्ट के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित कर कहा कि यह भारत के साथ कश्मीर की अखंडता के खिलाफ है।
मुम्बई में जारी भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव चूंकि बैठक के एजेंडे में शामिल नहीं था लेकिन रिपोर्ट के सार्वजनिक होने पर पार्टी ने प्रस्ताव पारित कर इसका विरोध किया।
रिपोर्ट में राज्य से सम्बंधित सभी केंद्रीय कानूनों की समीक्षा करने के लिए एक संवैधानिक समिति के गठन और अनुच्छेद 370 को स्थाई बनाने की अनुशंसा की गई है। अनुच्छेद 370 राज्य को विशेष दर्जा देता है।
पार्टी की प्रवक्ता निर्मला सीतारमन ने कहा, "प्रस्ताव में यह भावना है कि रिपोर्ट से हम निराश हुए हैं। भाजपा रिपोर्ट को खारिज करती है।" बैठक में शामिल पार्टी के वरिष्ठ नेता अरूण जेटली ने प्रस्ताव पेश किया।
सीतारमन ने कहा, "संसद के बजट सत्र के स्थगित होने से 36 घंटे के भीतर रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया है लेकिन इसे संसद में पेश किया जाना चाहिए था।" उन्होंने कहा, "रिपोर्ट में कुछ तल्ख वास्तविकताओं को पूरी तरह से नजरंदाज किया गया है। "
प्रवक्ता ने कहा, "रिपोर्ट यह स्वीकार करने में असफल हुई है कि शेष भारत के साथ कश्मीर की अखंडता में अनुच्छेद 370 एक मनोवैज्ञानिक बाधा है। इस अनुच्छेद को समाप्त करने के बजाय, इसे स्थायी बनाने की अनुशंसा की गई है।"
उल्लेखनीय है कि पत्रकार दिलीप पडगांवकर के नेतृत्व में वार्ताकारों की टीम ने अक्टूबर 2011 में केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी जिसे गुरूवार को सार्वजनिक किया गया।
उधर राजनीतिक विश्लेषक ए जी नूरानी भी समिति की रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज करते हुए कहते हैं कि इससे जम्मू कश्मीर की समस्या सुलझने की बजाए और उलझेगी.
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