कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी का तथाकथित करिश्मा खत्म हो चुका है। भारतीय युवा कांग्रेस की हालत को देखकर यही पता चल रहा है । राहुल गांधी की लाख कोशिशों के बावजूद युवा कांग्रेस को उतने नए सदस्य नहीं मिल रहे हैं जितने की उम्मीद की जा रही थी। गुजरात में नए सदस्यों की संख्या में एक तिहाई की गिरावट आई है। गौरतलब है कि गुजरात में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं।
झारखण्ड और तमिलनाडु में भी सदस्यों की संख्या काफी कम हुई है। राहुल गांधी ने पांच साल पहले युवा कांग्रेस की कमान संभाली थी। उन्होंने आंतरिक लोकतंत्र और राजनीतिक चरित्र में बदलाव की बातें कर काफी उम्मीदें जगाई थी लेकिन शायद उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए हैं। गुजरात में हालिया सदस्यता अभियान में सिर्फ 2.5 लाख सदस्य ही जोड़े जा सके जबकि 2010 में युवा कांग्रेस से 10 लाख सदस्य जुड़े थे।
इसी तरह झारखण्ड में 2010 में युवा कांग्रेस से करीब 3.5 लाख नए सदस्य जुड़े थे। हाल ही में सदस्यता अभियान में सिर्फ 30 से 40 हजार नए सदस्य ही जोड़े जा सके। तमिलनाडु में 2010 में युवा कांग्रेस को 14 लाख नए सदस्य मिले थे लेकिन 23 अप्रेल से 23 मई तक राज्य में चलाए गए सदस्यता अभियान के दौरान सिर्फ 1.5 लाख सदस्य ही मिले। ये आंकड़े हुगली में 31 मई को होने वाली युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से ऎन पहले आए हैं।
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