विष्णुपद क्षेत्र में उनके आगमन को लेकर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। लगभग छह घंटे तक क्षेत्र की विभिन्न पिंडवेदियों पर जाकर वरुण ने पूर्वजों के नामित पिंड को अर्पित किया। बाद में उन्होंने गया में अपने पिता संजय गांधी की स्मृति में एक धर्मशाला बनवाने की घोषणा की।
विशेष विमान से वरुण गांधी प्रात : साढ़े आठ बजे बिहार के गया पहुंचे। विष्णुपद मंदिर में गुरुवार को निर्जला एकादशी को लेकर काफी भीड़भाड़ थी। मुख्य मंदिर से सटे बालाजी हनुमान मंदिर में पिंडदान की व्यवस्था की गई थी। 11 पुरोहितों के साथ मुख्य आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री के नेतृत्व में कर्मकांड कराया गया।
वरुण गांधी ने पितृदोष निवारण के लिए सर्वप्रथम नारायणबली श्राद्ध और त्रिपिंडी श्राद्ध किया, जिसे बाद में गया कूप में जाकर विसर्जित किया। तदोपरांत गया श्राद्ध का कर्म किया गया। बाद में गया तीर्थ के गयापाल पंडा महेश लाल हल द्वारा उन्हें सुफल दिया गया।
achchha hi kiya
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