पश्चिम बंगाल की तृणमूल सरकार द्वारा तैयार 'सिंगुर भूमि पुनर्वास व विकास कानून-2011' को कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा असंवैधानिक करार देकर खारिज करने के तीन दिन बाद राज्यपाल एमके नारायणन ने अपने बयान से विवाद को गहरा दिया है। राज्यपाल ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने जो किया वह राज्य सरकार के परामर्श से। उन्हें बताया गया था कि इस विधेयक के लिए राष्ट्रपति के हस्ताक्षर की जरूरत नहीं। यह बयान देकर उन्होंने राज्य सरकार से गलत सलाह मिलने की ओर इशारा किया है।
सोमवार को कोलकाता में पत्रकारों द्वारा सिंगुर प्रकरण की बाबत पूछे जाने पर नारायणन ने कहा कि वह कोर्ट के फैसले पर कोई मंतव्य नहीं देना चाहते। इसी बीच किसी ने कहा, आपने बिल पर हस्ताक्षर किया था जिसे हाई कोर्ट ने असंवैधानिक करार देते हुए रद कर दिया है, इसपर राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने राज्य सरकार से परामर्श करने के बाद ऐसा किया था। उनसे कहा गया था कि इस बिल पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर की जरूरत नहीं है। उल्लेखनीय है कि माकपा समेत विभिन्न विपक्षी दल सिंगुर भूमि पुनर्वास बिल तैयार करने में राज्य सरकार पर संवैधानिक प्रक्रिया की अनदेखी कर जल्दबाजी करने का आरोप लगाते रहे हैं।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अब तक हाई कोर्ट के निर्णय पर मौखिक टिप्पणी नहीं की है, सिर्फ फेसबुक के जरिए मुहिम चला रही हैं, लेकिन राज्यपाल के बयान ने ममता के राजनीतिक विरोधियों को उन्हें घेरने का नया मौका दे दिया है।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने गत शुक्रवार को सिंगुर भूमि पुनर्वास व विकास कानून को असंवैधानिक करार देते हुए खारिज कर दिया था। कोर्ट ने राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित नहीं होने के कारण इसे अवैधानिक करार दिया था।
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