मद्रास हाईकोर्ट ने गुरूवार को गृह मंत्री पी चिदंबरम को तगडा झटका दिया है। कोर्ट ने 2009 के लोकसभा चुनावों के दौरान तमिलनाडु की शिवगंगा सीट से चिदंबरम के सांसद चुने जाने के खिलाफ अन्नाद्रमुक नेता राजा कन्नपन की ओर से दायर की गई याचिका को खारिज करने संबंधी चिदंबरम की याचिका को रद्द कर दिया है। चिदंबरम ने अन्नाद्रुमक नेता कन्नपम द्वारा दायर याचिका को अवैध बताया था। हालांकि कोर्ट ने उन पर लगाए गए 29 आरोपों मे से दो को हटा दिया है।
चिदंबरम से कम वोटों के फासले से हारने के बाद राजा कन्नापन ने वोटों की गिनती में धांधली का आरोप लगाया था और दोबारा गिनती करवाने की मांग की थी। इस चुनाव में चिदंबरम को 3 लाख 34,348 और राजा कन्नापन को 3 लाख 30,994 वोट मिले थे। पी चिदंबरम ने अपनी लोकसभा सदस्यता को गैरकानूनी बताने वाली अर्जी के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने अदालत से कहा था कि जिन 29 वजहों से उनकी सदस्यता को कठघरे में ख़डा किया जा रहा है वह ठीक नहीं है।
मगर अदालत ने साफ कह दिया कि चिदंबरम के चुनाव को रद्द करने की मांग करने के लिए जिन 29 आधार पर अर्जी दाखिल की गई है उनमें से सिर्फ दो ही हटा दिए जाएंगे। पहला आधार यह कि चिदंबरम ने जिन बैंक कर्मचारियों को नौकरी पर रखवाया था उन्हें चुनाव बूथ पर लगवा दिया गया था, दूसरा उनके खिलाफ जांच को ठंडे बस्ते में डलवा दिया। अदालत ने साफ कहा कि बाकी 27 आधार पर चिदंबरम की सदस्यता के खिलाफ यह केस जारी रहेगा।
आरोप है कि चिदंबरम ने धोखाधडी से शिवगंगा से 2009 में लोकसभा चुनाव जीता था।चुनावी नतीजे के दिन राजा कन्नपन शुरू से चिदंबरम पर बढत बनाए हुए थे लेकिन आखिर में वह 3,354 वोटों से हार गए थे। राजा कन्नपन ने आरोप लगाया कि शिवगंगा की जनता ने तो उन्हें ही चुना था लेकिन डेटा एंट्री ऑपरेटर ने खेल करके उनके पक्ष में पडे वोटों को चिदंबरम के खाते में डाल दिया। राजा कन्नपन ने 25 जून 2009 को चिदंबरम की जीत को चुनौती देते हुए मद्रास होई कोर्ट में चुनाव याचिका दायर की थी।
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