नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने 31 मार्च को समाप्त हुए वित्त वर्ष में कांग्रेस की दिल्ली सरकार के कामकाज की छानबीन के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सरकार के विभागों की कोताही के कारण भी सरकारी खजाने की भारी धनराशि गंवानी पड़ी.
कैग की रिपोर्ट में आर्थिक अनियमितताओं के पांच मुख्य मामलों का उल्लेख किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कांग्रेस की सरकार ने बिजली कंपनी बीएसईएस. राजधानी पावर लिमिटेड को 3.67 करोड रुपये का अनुचित फायदा पहुंचाया. रिपोर्ट के अनुसार इस कंपनी को बिजली संतुलन कोष से ऋण देते समय दिल्ली पावर कंपनी लिमिटेड ने आवश्यक प्रतिभूति हासिल नहीं की तथा कंपनी पर 3.67 करोड़ रुपये का ब्याज दंड नहीं लगाया. यह कंपनी का पक्ष लेना था.
कैग के अनुसार दिल्ली ट्रांस्को लिमिटेड द्वारा कार्य को पूरा करने में विलम्ब किये जाने के बावजूद ठेकेदार से शीला दीक्षित की सरकार द्वारा हर्जाना राशि नहीं वसूली गई. इस प्रकार ठेकेदार को 80.91 .अस्सी दशमलव नौ एक. लाख रू पए की अधिक अदायगी की गई.
इन्द्रप्रस्थ पावर जेनरेशन कम्पनी ने सूखी राख की बिक्री और उसे उठाने के ठेके में विलम्ब किया जिससे सरकार को 22.68 लाख रूपए की हानि हुई.
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