भ्रष्टाचार के आरोपों में यूपीए के एक और मंत्री की कुर्सी छिन गई है. लघु और कुटीर उद्योग मंत्री और हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
सोमवार को शिमला की एक अदालत ने उनपर भ्रष्टाचार के एक केस में आरोप तय किए थे.
वीरभद्र सिंह ने मंगलवार को प्रधानमंत्री निवास जाकर अपना इस्तीफा मनमोहन सिंह को सौंपा, जिसे मंजूर कर लिया गया. इससे पहले अदालती फेर में फंसने के बाद वीरभद्र सिंह ने सोमवार को सोनिया गांधी से मुलाकात की थी.
सोमवार को शिमला की एक अदालत ने केंद्रीय मंत्री और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप तय किए.
शिमला के स्पेशल विजिलेंस जज बीएल सोनी ने वीरभ्रद सिंह पर जिस मामले में आरोप तय किए गए हैं वह केस 24 साल पुराना है. वीरभ्द्र पर साल 1989 में मुख्यमंत्री रहते हुए कारोबारियों से घूस लेने का आरोप है.
हिमाचल प्रदेश की राजनीति में वीरभद्र सिंह की हैसियत उन चंद नेताओं में है जिनकी राज्य में तूती बोलती है. वह हिमाचल प्रदेश के पांच बार मुख्यमंत्री रहे और पांच बार लोकसभा के लिए भी चुने गए.
अभियोजन पक्ष ने वीरभ्रद सिंह और उनकी पत्नि के खिलाफ साल 2010 में चार्जशीट दाखिल किया था.
पुलिस के मुताबिक दंपत्ति पर तीन अगस्त, 2009 में एक सीडी के आधार पर केस दर्ज किया गया था. यह सीडी वीरभद्र सिंह के राजनीतिक सलाहकार विजय सिंह मनकोटिया ने साल 2007 में जारी की थी.
पूर्व मुख्यमंत्री पर 1989 में अपनी आधिकारिक स्थिति का फायदा उठाने और आपराधिक दुर्व्यवहार के आरोप हैं. बीजेपी ने अदालत के जरिए आरोप तय किए जाने के बाद उनके इस्तीफा की मांग की.
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