
पाटिल राष्ट्रपति के तौर पर अपने कार्यकाल की विदेश यात्राओं में दो सौ करोड़ से ज्यादा खर्च करने और इन यात्राओं में पारिवारिक सदस्यों को ले जाने की वजह से भी चर्चा में रही हैं। आरोप है कि ट्रस्ट को इन वस्तुओं के हस्तांतरण में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। विदेश मंत्रालय के अधीन आने वाले तोशा खाना (उपहार कोष) से भी इस बारे में अनुमति नहीं ली गई, जो सरकार के सभी प्रतिनिधियों और नौकरशाहों के उपहारों का संरक्षण और संग्रह करता है। पाटिल के रिटायरमेंट के 40 दिन पहले 15 जून 2012 को राष्ट्रपति सचिवालय और संस्थान के बीच एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हुए थे।
हालांकि राष्ट्रपति सचिवालय ने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल अपने साथ कोई उपहार या स्मृति चिन्ह नहीं ले गईं। राष्ट्रपति सचिवालय ने जवाब में यह भी बताया है कि नई दिल्ली के ब्रह्मोस सेंटर में प्रदर्शित करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को मिलीं 36 कलाकृतियां भी सौंपी गईं थीं।
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