विराजमान रामलला के स्थल अर्थात गर्भगृह में राममंदिर का निर्माण करने व अधिग्रहीत परिसर में युसुफ आरामशीन के पास मस्जिद निर्माण का प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। विवाद के समाधान के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति पलोक बसु के संरक्षकत्व में दो वर्षो से चल रही मुहिम में इस चरण को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। समाधान के इस प्रस्ताव में उच्च न्यायालय से मुस्लिम समुदाय को मिली जमीन को उद्यान के रूप में विकसित करने पर सहमति बनती दिख रही है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति पलोक बसु के संयोजन में तुलसी स्मारकभवन सभागार में हुई इस बैठक की समाधान की दिशा में मील का पत्थर साबित हुई। रसिकपीठ जानकीघाट बड़ा स्थान के महंत जनमेजय शरण की अध्यक्षता में इस बैठक के सभी चार प्रस्तावों को बैठक में पारित होने के बाद अयोध्या -फैजाबाद के लोगों की सहमति के बाद मंडलायुक्त के माध्यम से राज्य सरकार के पास भेजने पर विचार हुआ। तय किया गया कि इन प्रस्तावों पर अधिग्रहीत परिसर के रिसीवर की सहमति के बाद राज्य सरकार के माध्यम सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचाया जाए।
इस अवसर समाधान समिति के प्रवक्ता ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव एडवोकेट ने कहा कि अयोध्या विवाद के निपटारे के लिए अयोध्या-फैजाबाद के लोगों की सहमति व इसमें बाहरी लोगों को प्रवेश न देने, विवादित स्थल का दक्षिणी हिस्सा उद्यान के रूप में विकसित करने, मस्जिद के निर्माण के लिए अधिग्रहीत परिसर स्थित युसूफ आरामशीन के पास जमीन देने, विराजमान रामलला के स्थान पर मंदिर निर्माण का प्रस्ताव कई बैठकों में मौजूद लोगों की राय के आधार पर तैयार किया गया है।
बिबाद कभी समाप्त न हो यह सरकार का प्रयास है
ReplyDeleteअब तो एक इंच भूमि भी मुसलमानों को नहीं मिलेगी।।।।।
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