सुप्रीम कोर्ट ने 2008 के मालेगांव विस्फोट के मामले में बृहस्पतिवार को सेना के पूर्व अधिकारी श्रीकांत प्रसाद पुरोहित, प्रज्ञा ठाकुर और अन्य आरोपियों को अंतिरम जमानत देने से इनकार कर दिया।
पुरोहित और अन्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता यू आर ललित ने न्यायामूर्ति एचएल दत्तू और न्यायमूर्ति सीके प्रसाद की दो सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष दलील दी कि उनके मुवक्किल पिछले चार साल से जेल में हैं और उनकी जमानत याचिकाएं नहीं सुनी जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किलों को अब जमानत पर जेल से बाहर जाने की इजाजत दी जानी चाहिए। हालांकि उनकी दलीलों से असंतुष्ठ खंडपीठ ने यह कहते हुए अंतरिम जमानत पर उन लोगों को रिहा करने से मना कर दिया कि वह इस समय अंतरिम जमानत मंजूर नहीं कर सकती।
न्यायालय ने मामले की सुनवाई तीन सप्ताह के लिए स्थगित करते हुए पुरोहित से राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए द्वारा पूछताछ किए जाने पर रोक का अंतरिम आदेश अगली सुनवाई तक के लिए बढ़ा दिया। इसी साल चार जनवरी को उच्चतम न्यायालय ने आरोपियों से पूछताछ करने की इजाजत देने संबंधी बंबई हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी और पुरोहित की जमानत याचिका पर एनआई को भी पक्षकार बनाया था।
बीते साल 16 दिसंबर को पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश के अमल पर रोक लगाई थी। पुरोहित ने 20 अक्टूबर, 2011 को दिए गए उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया था। अपने आदेश में उच्च न्यायालय ने एनआईए को इस बात की इजाजत दी थी कि वह पुरोहित को न्यायिक हिरासत में लेकर पूछताछ करे।
पुरोहित की गिरफ्तारी और उसके खिलाफ आरोप पत्र 29 सितंबर, 2008 के बम विस्फोट के मामले में दाखिल किया गया है। महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए इस विस्फोट में सात लोग मारे गए थे।
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