टेलिकॉम घोटाले और सीएजी रिपोर्ट पर चल रहे घटनाक्रम ने उस वक्त नया मोड़ ले लिया जब पूर्व सीएजी अधिकारी आर. पी. सिंह ने कहा कि उन्होंने कभी यह दावा नहीं किया था कि पब्लिक अकाउंट कमिटी (पीएसी) के चेयरमैन मुरली मनोहर जोशी ने कैग की रिपोर्ट को प्रभावित किया।
2जी स्पेक्ट्रम आवंटन से 1.76 लाख करोड़ रुपये के नुकसान के आकलन को गलत बताने वाले सिंह ने कहा कि उनके बयान को एक अखबार ने गलत तरीके से प्रचारित किया।
23 नवंबर को एक अखबार ने सिंह के हवाले से लिखा था कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में नुकसान का फॉर्म्युला जोशी ने सुझाया था। इसके बाद ही नुकसान का आकलन बढ़ाकर कैग ने 1.76 लाख करोड़ रुपये कर दिया। सिंह के इस कथित खुलासे के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पहली बार पूरे मामल में हमला बोलते हुए 2जी स्कैम के आंकड़े को बीजेपी की साजिश करार दिया था। परोक्ष रूप से सोनिया ने कैग पर भी निशाना साधा था। सिंह के ताजा बयान से 2जी स्कैम को बीजेपी की साजिश साबित करने में जुटी कांग्रेस और सरकार की मुहिम को थोड़ा झटका लगा है।
सिंह ने रविवार को साफ किया कि उन्होंने रिपोर्ट को लेकर पीएसी चेयरमैन मुरली मनोहर जोशी पर कभी सवाल नहीं खड़े किए। जोशी पर आरोप लगाने से इनकार करते हुए कैग के पूर्व अधिकारी ने कहा, ‘वह ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि उनके पास इस बात का कोई दस्तावेजी सुबूत नहीं है।’
पूर्व सीएजी अधिकारी ने अपने ऊपर कांग्रेस का मोहरा होने के आरोप का भी खंडन किया। उन्होंने कहा कि उनका यूपीए के साथ न तो कोई रिश्ता है और न ही नेताओं से कोई बातचीत हुई है। उन्होंने कहा कि मैंने राजनीति से प्रेरित होकर कुछ भी नहीं कहा है।
गौरतलब है कि सिंह ने कैग और पीएसी के बीच मिलीभगत का अप्रत्यक्ष आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया था कि कैग ने नवंबर 2010 में 2जी घोटाले पर संसद को रिपोर्ट सौंपी थी, लेकिन इसके पहले से ही कैग और पीएसी के अधिकारियों के बीच बहुत अच्छे संबंध थे। उन्होंने यह भी कहा था कि कैग के अधिकारी 22 अप्रैल 2011 को मुरली मनोहर जोशी से मिलने उनके घर गए थे। हालांकि, जोश ने इस बारे में कहा था कि बतौर पीएसी चेयरमैन उन्होंने कैग को बुलाया था, उसके अधिकारियों को नहीं।
पिछले साल सितंबर में सीएजी के डीजी (पोस्ट ऐंड टेलिकम्युनिकेशन्स) पद से रिटायर होने वाले सिंह ने कहा था कि उनके वरिष्ठ अधिकारियों ने लिखित आदेश दिया था जिसकी वजह से उन्होंने 2जी स्पेक्ट्रम में 1.76 लाख करोड़ के अनुमानित घाटे वाली रिपोर्ट में दस्तखत करने पड़े। आरपी सिंह कैग की उस टीम की अगुआई कर रहे थे जिसने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन का ऑडिट किया था।
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