किन्नौर के अकपा में रेडियो ट्रांसमीटर मिलने से हिमाचल पर ड्रैगन का खतरा मंडराने लगा है। भारतीय सेना की अकपा चैकपोस्ट के समीप लगाए गए रेडियो ट्रांसमीटर में चीनी जासूसों के हाथ होने का अंदेशा है। खुफिया एजेंसियों को शक है कि कहीं किन्नौर में चीन के जासूस भी छिपे हो सकते हैं, जिन्होंने गोपनीय ढंग से मुरांग के तितलीधार में एक पेड़ पर खुफिया जानकारी लेने के लिए रेडियो ट्रांसमिटर यानी (वीएचएफ सेट) स्थापित किया है। अकपा में मिले रेडियो ट्रांसमीटर के बाद देश की सुरक्षा एजेसियां जांच में जुट गई हैं। आईटीबीपी, आईबी सेना व प्रदेश पुलिस पता लगा रही है कि आखिर एक ट्रांसमीटर की कितनी फ्रीक्वेंसी है और इसके जरिए कितनी दूरी तक संदेश भेजे जा सकते हैं।
सीजैड एच-15ए मॉडल वाला बीएचएफ सेट चालू हालत में बताया जा रहा है। सेट के साथ एक बैटरी, एंटीना व सोलर चार्ज भी मिला है, जो कि सेट के साथ पेड़ पर ही लगाया गया था। बताया जा रहा है कि सेना की अकपा चैकपोस्ट के पास मिले इस रेडियो ट्रांसमीटर की 87 से 108 मेगा हर्ट्ज की क्षमता बताई जा रही है, जिसके जरिए कई किलोमीटर दायरे में संदेश पहुंचाया जा सकता है। ऐसे में सुरक्षा एजेंसी को शक है कि कहीं इस सेट के जरिए चीन के लिए खुफिया जानकारी तो नहीं भेजी जाती थी। चूंकि जहां पर यह मुरांग में यह सैट मिला है, वहां से तिब्बत बार्डर भी 10 से 15 किलोमीटर की आकशीय दूरी पर है।
यह रेडियो ट्रांसमीटर किस मकसद से सोरंग के तितलधार के पेड़ पर लगाया गया था, इसकी कितनी फ्रिकवेंसी है। इसके पीछे किसका हाथ है। कहीं यह सेट सेना के वाकी-टाकी सेट को कैच तो नहीं करता था, जिसकी खुफिया जानकारी लेने के लिए इसे सेना अकपा कैंप के समीप लगाया गया है। तकनीकी जानकारों का मानना है कि रेडियो ट्रांसमीटर मिलना देश व प्रदेश के लिए एक बेहद संवेदनशील है। सीआईडी का मानना है कि यह एक रेडियो ट्रांसमीटर (ट्रैकर) लगता है। अंदेशा है कि किसी विदेशी पर्यटक ने इसे फिट किया है। चार दिसंबर को किन्नौर में भारतीय सेना के अकपा कैंप से एक किलोमीटर की दूरी पर मुरांग क्षेत्र के तितलीधार में एक पेड़ पर फिट किया गया था।
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