ओडिशा में विश्व हिंदू परिषद के नेता लक्ष्मणानंद सरस्वती और चार अन्य की हत्या के मामले में कंधमाल की सेशन कोर्ट ने 15 में से सात आरोपियों को दोषी ठहराया है. इन अपराधियों को 3 अक्टूबर को सजा सुनाई जाएगी.
सरस्वती की हत्या पांच साल पहले हुई थी और इसके बाद कंधमाल जिले में आदिवासी हिंदुओं और दलित ईसाइयों के बीच सांप्रदायिक झड़पों का दौर शुरू हो गया था. इसी के बाद राज्य में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल सरकार ने अपनी गठबंधन सहयोगी बीजेपी से 2009 के विधानसभा चुनावों के पहले नाता तोड़ लिया था.
कंधमाल के जलेसपेटा इलाके में स्थित शंकराचार्य कन्या आश्रम में लक्ष्मणानंद सरस्वती और उनके सहयोगी 23 अगस्त 2008 को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मना रहे थे.तभी नकाबपोश एके 47 धारी हमलावरों ने फायरिंग शुरू कर दी. हमले में सरस्वती के अलावा उनके तीन सहयोगी और आदिवासी स्कूल में पढ़ने वाली एक लड़की के भाई की मौत हो गई थी.
सोमवार को कंधमाल के अडीशनल डिस्ट्रिक्ट जज राजेंद्र कुमार तोष ने इस केस का फैसला सुनाया.ट्रायल के दौरान आरोपियों ने कोर्ट को बताया कि लक्ष्मणानंद सरस्वती को मारने का षडयंत्र माओवादी आतंकवादी सब्यसाची पांडा ने तैयार किया था. सीपीएम से पिछले साल निकाल दिए गए पांडा को अभी तक उड़ीसा पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई है.
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