डॉ. यासीन अतीत में हिंदू परिवार से रहे हैं और उसका वास्ता अमृतसर से है। बंटवारे के बाद परिवार इधर-उधर हो गए। इनके बुजुर्गों ने बाद में ईसाई धर्म अपना लिया, बावजूद इसके ये लोग इस्लाम के साथ हिंदू और सिख सभी धर्मों का आदर करते हैं।
डॉ. यासीन ने बताया कि वह अस्पताल चला कर लोगों की सेवा करते हैं। विगत में पाकिस्तान सरकार ने उनकी एनजीओ 'चाइना मेडिकेयर वेल्फेयर हेल्थ सेंटर' को अस्पताल, वृद्ध आश्रम और अनाथ आश्रम खोलने के लिए 34 कनाल जगह भी उपलब्ध कराई है।
दूसरी बार भारत आए यासीन ने बताया कि वह काफी दिन से परेशान थे, परिवार में कलह के अलावा मियां-बीवी में भी अक्सर तकरार होती रहती है। वहां पर एक पंडित के पास गए तो उसने शनि की नाराजगी की बात बताई, और कहा कि आप जो कुछ करते अथवा करना चाहते हैं उसका उलट होता है। बात-बात पर गुस्सा आता है। मियां-बीवी में न चाहते हुए भी अक्सर झगड़ा हो जाता है। यह सब शनि की उग्र दृष्टि के कारण हो रहा है, इसकी पूजा करवाएं सब ठीक हो जाएगा' मगर वहां पर इसकी पूजा की कोई व्यवस्था नहीं है।और फिर डॉ. यासीन जिया और उनकी बीवी डॉ. रोजी जिया सरहद पार आ गए शनि की पूजा करवाने।
यहां आकर वह दरबार साहिब, दुग्र्याणा तीर्थ और चर्च भी गए। इसके बाद दरबार साहिब के पास स्थित बड़े शनि मंदिर में भी माथा टेका। इस दौरान वह लोग अपने यहां खोले जाने वाले आश्रमों की जानकारी लेने के लिए पिंगलवाड़ा और यतीम खाना भी गए।
इसके बाद ननकाना साहिब सिख यात्री जत्था के प्रधान स्वर्ण सिंह गिल के नेतृत्व में छेहर्टा स्थित इंडस्ट्रियल एरिया स्थित शिव मंदिर में इस दंपती ने शनि देव की पूजा की। यहां पं. राम परवेश मिश्रा ने पूरे विधि विधान के साथ पूजा करवाई और सिरोपा डाल कर सम्मानित भी किया। डॉ. रोजी ने बताया कि वापसी पर वह यहां से शनि देव की प्रतिमा भी ले जाएंगे और वहां पर दोनों मुल्कों और परिवार की बेहतरी के लिए पूजा किया करेंगे।
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