देश की राजधानी दिल्ली में एक एडिशनल सेशन जज ने एक रेप केस पर फैसला सुनाते हुए कहा कि लड़कियां शादी से पहले संबंध न बनाने के लिए प्रतिबद्ध होती हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस वी एन खरे ने इसे बेतुका बताया है।
खरे ने कहा, 'उन्होंने जो भी कहा वो बेतुका था।' खरे ने साथ ही कहा कि अब समय बदल चुका है. अब महिलाओं और पुरुषों को समान रूप से देखे जाने पर फोकस किया जाना चाहिए।
दिल्ली फास्ट ट्रैक कोर्ट में एक रेप केस पर अपना फैसला सुनाते हुए वीरेंद्र भट्ट ने कहा था, 'लड़कियों पर नैतिक और सामाजिक रूप से प्रतिबद्धता होती है कि वे शादी से पहले यौन संबंध न बनाएं. वे अगर ऐसा करती हैं तो यह उनका खुद का उठाया जोखिम है। क्योंकि इसके बाद वो रो नहीं सकती हैं कि यह रेप था।' यह फैसला ७ अक्टूबर को सुनाया गया था।
वहीं कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी ने कहा कि १८ साल से अधिक उम्र की महिलाएं सहमति से शारीरिक संबंध बना सकती हैं और उसके लिए कोर्ट की मंजूरी की जरूरत नहीं है। कांग्रेस की प्रवक्ता रेणुका चौधरी ने कहा कि सहमति से संबंध और रेप के बीच अंतर को लेकर संशय नहीं होना चाहिए। शुरू में कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि वह कोर्ट के किसी फैसले पर या न्यायाधीश ने जो कहा, उस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकतीं।
उन्होंने कहा, ‘हां कुछ सच हो सकता है। हां ऐसा होता है कि महिलाएं पहले सहमति से संबंध बनाती हैं और फिर सुविधा के अनुसार बदल जाती हैं। मुझे यह सही नहीं लगता। जज ने फैसले में जो कहा, मैं उस पर टिप्पणी नहीं कर सकती लेकिन उससे अलग हटते हुए यह कहना चाहूंगी कि यह हम सभी महिलाओं के सामने चुनौती है। पहली बात यह कि महिलाओं को सहमति से संबंध बनाने का हक है।’
उन्होंने कहा, ‘अगर आप १८ साल से बड़ी हैं तो किसी की अनुमति की जरूरत नहीं है। आपको सहमति से संबंध बनाने का अधिकार है। हमें इसके लिए कोर्ट के फैसले या मंजूरी की जरूरत नहीं है।’ रेणुका ने यह भी कहा कि रेप आपसी सहमति से बनाए गए संबंध नहीं होते। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही अफसोस की बात है कि रेप और सहमति से संबंध के बीच संशय है।
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