
गृह मंत्रालय के अधिकारी ने खुफिया विभाग के किसी अधिकारी द्वारा कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को ब्रीफ किए जाने की संभावना से इन्कार कर दिया है। उनके अनुसार, जब आइबी का ऐसा कोई इनपुट है ही नहीं, तो कोई ब्रीफ कैसे कर सकता है। गौरतलब है कि गुरुवार को इंदौर में रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने मुजफ्फरनगर दंगों से प्रभावित युवाओं के साथ आइएसआइ के संपर्क का दावा किया था। राहुल के अनुसार यह जानकारी उन्हें आइबी के एक अधिकारी ने दी थी।
ऐसी किसी रिपोर्ट का खंडन करते हुए गृह मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि मुजफ्फरनगर दंगों के बाद उत्तरप्रदेश सरकार को एडवाइजरी जरूर भेजी गई थी। इसमें राज्य सरकार को आगाह किया गया था कि दंगा पीड़ितों के बीच आइएसआइ समर्थित आतंकी संगठनों द्वारा घुसपैठ बनाने की कोशिश की जा सकती है। उनके अनुसार लगभग सभी बड़े दंगों के बाद संबंधित राज्य सरकार को भेजी जाने वाली यह सामान्य एडवाइजरी थी। इसमें कहीं भी यह नहीं कहा गया था कि ये आतंकी संगठन मुजफ्फरनगर दंगा पीड़ितों के बीच पहुंच गए हैं।
वैसे गृह मंत्रालय के अधिकारी राहुल गांधी के बयान पर खुलकर कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं। यहां तक कि इस संबंध में पूछे जाने पर गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कुछ भी बोलने से इन्कार कर दिया।
खुफिया विभाग के पूर्व अधिकारी आंतरिक सुरक्षा के संवेदनशील मुद्दे पर कोई भी जानकारी राहुल गांधी को देने को एजेंसी की गरिमा के लिए खतरनाक मान रहे हैं। आइबी के पूर्व निदेशक अरुण भगत के अनुसार सरकार से बाहर किसी राजनेता को इस तरह से ब्रीफ करना गलत है और मामले की जांच कर इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए। इसी तरह आइबी के पूर्व प्रमुख एके डोभाल ने खुफिया एजेंसी का दुरुपयोग बताते हुए इसे एक गलत परंपरा की शुरुआत बताया है।
'मुजफ्फरनगर दंगा पीड़ित परिवारों के नौजवानों से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने संपर्क साध लिया है। उन्हें यह जानकारी इंटेलीजेंस के एक अफसर ने दी है।'
मुजफ्फरनगर के कुछ युवकों के पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के संपर्क में होने के राहुल गांधी के बयान पर सीधी टिप्पणी करने से इन्कार करते हुए उत्तर प्रदेश के गृह सचिव कमल सक्सेना ने कहा कि इंटेलीजेंस ब्यूरो ने सरकार कोई इनपुट (सूचना) नहीं दी है। न ही कोई जानकारी मिली है।
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