मद्रास हाई कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि किसी मंदिर में प्रार्थना नहीं करने के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि कोई व्यक्ति हिंदू नहीं है.
जस्टिस एन पॉल वसंतकुमार और के रविचंद्रबाबू की खंडपीठ ने एक दलित पंचायत अध्यक्ष को सामुदायिक प्रमाण पत्र को रद्द किए जाने संबंधी आदेश को खत्म करते हुए यह टिप्पणी की.
यह मामला पंचायत अध्यक्ष वासीकरण से जुड़ा था जिन्होंने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया था. वासीकरण पर आरोप लगा था कि वह हिंदू नहीं थे क्योंकि उनके घर मंदिर तो था, लेकिन प्रार्थना नहीं होती थी.
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