मुजफ्फरनगर दंगा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यूपी सरकार से पूछा कि सिर्फ मुसलमानों की बात क्यों हो रही है? क्या हिंदू दंगों में पीड़ित नहीं हैं? कोर्ट ने कहा कि दंगों में हिंदू-मुसलमान दोनों पक्ष के लोग पीड़ित हैं। सरकार को दोनों पक्षों से जुड़े पीड़ितों के पुनर्वास की बात करनी चाहिए। यूपी सरकार ने इस बारे में जारी पुराने नोटिफिकेशन को रद्द कर नया आदेश जारी करने का वादा किया।
दरअसल, कोर्ट ने यूपी सरकार की ओर से दिए गए दंगा पीड़ितों के पुनर्वास के ब्योरे पर नाराजगी जताई, इसमें केवल मुस्लिम पीड़ितों का जिक्र था। यह ब्योरा यूपी ने कोर्ट के नोटिस के जवाब में दिया था, जो दंगों की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराने की याचिका पर जारी किया गया था।
जाट सभा की ओर से दाखिल इस याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार मुजफ्फरनगर दंगा मामले में भेदभाव कर रही है। एक समुदाय विशेष के लोगों के खेत जलाए जा रहे हैं और सरकार कोई ऐक्शन नहीं ले रही है। इस कारण मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जानी चाहिए।
कोर्ट की फटकार के बाद यूपी सरकार के वकील राजीव धवन ने माना कि इस तरह के नोटिफिकेशन पर विवाद होना तय था। साथ ही कहा कि मुस्लिम पीड़ितों का नाम केवल इसलिए शामिल किया गया, क्योंकि वे ही राहत शिविरों से वापस घर नहीं लौटना चाहते थे।
पुराना नोटिफिकेशन जिस तरह जारी हुआ, वह नहीं होना चाहिए था। हम 26 अक्टूबर को जारी इस नोटिफिकेशन को रद्द कर नया जारी करेंगे। किसी भी व्यक्ति को धर्म के आधार पर पुनर्वास से वंचित नहीं किया जाएगा।
यूपी सरकार ने कोर्ट से वादा किया कि नए नोटिफिकेशन में यह साफ तौर पर लिखा होगा कि संबंधित अधिकारी हर प्रभावित व्यक्ति का ध्यान रखेंगे और राहत के काम सभी तक एक समान तरीके से पहुंचेंगे।
पुलिस डाल रही दबाव : कोर्ट ने उन आरोपों को गंभीर बताया, जिनमें कहा गया है कि दो युवकों की मौत की जांच कर रहे पुलिस अफसर ने एक युवक के परिजनों पर शिकायत कमजोर करने का दबाव डाला था।
कोर्ट ने ऐसी ही एक अन्य याचिका पर सरकार को नोटिस जारी किया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि दंगों की जांच कर रही स्पेशल इन्वेस्टिगेशन सेल का अफसर उससे मन मुताबिक हलफनामा लेने के लिए दबाव डाल रहा है, जबकि दंगों में उसके बेटे और भाई की हत्या कर दी गई थी।
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