सनातन संस्कृति और भौतिक संस्कृति के बीच चल रहे संघर्ष का समाधान हिंदू संस्कृति से ही संभव है। इसमें अधिवक्ता परिषद संवाहक की भूमिका निभा रहा है। उक्त बातें विहिप के संरक्षक अशोक सिंघल ने कहीं।
शनिवार को क्रिया योग संस्थान में अधिवक्ता परिषद उत्तर प्रदेश के दो दिवसीय अधिवेशन की अध्यक्षता कर रहे विहिप संरक्षक ने कहा कि 21 वींसदी में रूस से शुरू हुई विचारधारा का कुप्रभाव हिंदुस्तान में भी देखा जा रहा है। भारत के हिंदू राष्ट्र बनने की परिकल्पना को राष्ट्रवादी संगठन और विरोधी विचारधारा के लोग कोरी कल्पना मानते है। उन्होंने कहा कि जब बर्लिन की दीवार ढहने से दोनों जर्मनी एक हो सकते है तो आने वाले समय में भारत भी हिंदू राष्ट्र बन सकता है।
भारत को धर्मनिरपेक्ष नहीं, बल्कि आध्यात्मिक देश बताते हुए कहा कि सांप्रदायिक हिंसा निवारण अधिनियम की मंजूरी के बाद हिंदुओं को मजबूर होकर अपना धर्म परिवर्तन करना पड़ेगा। राजस्थान के पूर्व केंद्रीय मंत्री व सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता जगदीप धनकड़ ने कहा कि चीन, पाकिस्तान व बंगलादेश द्वारा निरंतर भारतीय सीमा में अतिक्रमण किया जा रहा है। असम में कश्मीर जैसे हालात बन गए है। इसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कोई भी निर्णय स्वयं लेने में सक्षम नहीं है। अधिवेशन को वरिष्ठ भाजपा नेता केसरीनाथ त्रिपाठी, शशि प्रकाश सिंह, कमलेश सिंह, अरुण भारद्वाज व सत्य प्रकाश राय ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर नीरज द्विवेदी, राकेश पाण्डेय, अजय सिंह, एनसी त्रिपाठी सहित कई जिलों के पदाधिकारी मौजूद रहे।
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