मुस्लिम होते हुए भी हिंदू देवी-देवताओं के प्रति अटूट आस्था रखने वाले वाहिद हुसेन उर्फ कुंदन साम्प्रदायिक सौहार्द के मिसाल बन गए हैं। दूसरे धर्म के प्रति एक अलग छवि को लेकर क्षेत्र में उनकी चर्चाएं हो रही हैं।
नगर पंचायत कप्तानगंज के वार्ड न. एक निवासी वाहिद हिंदू देवी देवताओं के प्रति इतना अथाह प्रेम है कि वे रात दिन बस श्याम खांटू बाबा के गुणगान कोरे कागजों पर लिखकर गीत तैयार करते हैं। जब उनकी रचना मंचों पर गाई जाती है तो भक्त झूम उठते हैं।
वाहिद हुसैन को बचपन से ही गीत भजन लिखने व गाने का शौक था। यह शौक धीरे-धीरे इस तरह बढ़ा कि एक बार गोरखपुर के मारवाड़ी समाज के एक श्याम जागरण कार्यक्रम में उनके द्वारा गाये गीत छोटी-छोटी गइया छोटे-छोटे ग्वाल गीत पर लोग झूम उठे। आज वह कलकत्ता, मुम्बई , गुजरात, मध्यप्रदेश , तमिलनाडू आदि स्थानों पर जाकर अपनी बुलंदी का डंका बजा चुके हैं।
वाहिद बताते हैं कि वह हर नवरात्र में मां दुर्गे के भजन का एलबम निकलवाते हैं। जिनमें माई की लाली चुनरिया, आसरा एक तेरा , माई की बिंदिया आदि प्रम़ख हैं। इन्होंने भोजपूरी फिल्म बिरजुआ, कुसूर आदि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इसके अलावा विडियो एलबम, हल्ला मचा दे नेपाल में दुल्हा चाहीं देहाती आदि धूम मचाए हुए हैं। मुस्लिम होकर भी देवी देवताओं व भजन के प्रति प्रेम पर लोगों की क्या प्रतिक्रिया है तो वह बताते हैं कि इस कार्य में हमारी बेगम भी सहयोग करती हैं। और आज तक किसी ने विरोध नहीं किया।
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