बांग्लादेश की लेखिका तस्लीमा नसरीन की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है। साथ ही निर्देश दिया है कि तस्लीमा के खिलाफ दर्ज केस में कोई कार्रवाई न की जाए।
यूपी पुलिस ने मौलाना तौकीर रजा खां की शिकायत पर तस्लीमा के खिलाफ बरेली में आईटी ऐक्ट के तहत केस दर्ज किया हुआ है। शिकायत में कहा गया है कि तस्लीमा ने एक ट्वीट के जरिए धार्मिक आस्था का अपमान किया है। इस मामले में तस्लीमा की ओर से सीनियर एडवोकेट के.के. वेणुगोपाल ने अर्जी दाखिल कर केस रद्द करने की गुहार लगाई है साथ ही केस किसी और राज्य में ट्रांसफर करने का आग्रह किया है। सुप्रीम कोर्ट मामले की आगे की सुनवाई के लिए जनवरी के दूसरे हफ्ते का वक्त तय किया है।
तस्लीमा नसरीन की ओर से पेश एडवोकेट वेणुगोपाल ने कहा कि मामला मानवाधिकार का है और इसमें उनके मुवक्किल के हितों की रक्षा की जानी चाहिए। अदालत ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने आईटी ऐक्ट की धारा-66 ए का केस रद्द करने के आग्रह पर कहा कि इस मामले को पहले के इस तरह के केसों के साथ अटैच किया जा सकता है। आईटी ऐक्ट की धारा-66 ए के तहत इंटरनेट या किसी भी सोशल साइट के जरिए दूसरे की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के मामले में केस दर्ज किया जा सकता है और इस मामले में गिरफ्तारी का भी प्रावधान है।
याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि इस मामले में मीडिया रिपोर्ट के आधार पर ही शिकायत के आधार पर बिना छानबीन के केस दर्ज कर लिया गया। याचिकाकर्ता ने कहा कि आईटी ऐक्ट के प्रावधान का उसके खिलाफ गलत तरीके से इस्तेमाल हो सकता है। उनकी ओर से कहा गया कि इस मामले में कानून का मिसयूज किया जा सकता है ऐसे में केस रद्द किया जाए।
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