जादूटोना अधिनियम हिंदू विरोधी होने का डर सनातन संस्था ने पूर्व से ही स्पष्ट किया था । डा. दाभोलकर की मृत्युके पश्चात शीघ्रता से पारित किए अध्यादेश को १०६ दिन हो गए, प्रशासन ने अध्यादेश कठोर बनाने के नाम पर सारे अपराध ‘हस्तक्षेपवाले’ घोषित किए; किंतु इस कालावधि में जादूटोना तथा चमत्कारों का दावा करने वाले बंगाली बाबा तथा ईसाई धर्मप्रसारकों के विरुद्ध आई लिखित ७ परिवादों में कार्यवाही करना तो दूर; अभी तक पुलिस ने अपराध भी प्रविष्ट नहीं किए ।
अत: इस संदर्भ में प्रशासन स्पष्टीकरण दे तथा यदि यह अधिनियम सर्वधर्मियों हेतु समान हो, तो संबंधित व्यक्तियों पर अपराध प्रविष्ट कर उन पर तुरंत कार्यवाही करने की बात घोषित करे, हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने वार्ताकार परिषद में ऐसी मांग की । इस समय हिंदू विधिज्ञ परिषद के अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर उपस्थित थे ।
अधिवक्ता इचलकरंजीकर ने कहा, २६ अगस्त २०१३ को प्रशासन ने आपातकाल उत्पन्न होने जैसा संभ्रम उत्पन्न कर अध्यादेश कार्यान्वित कर यह अधिनियम महाराष्ट्र के माथे पर थोप दिया । अध्यादेश की प्रस्तावना में भोंदू लोगों द्वारा होने वाले शोषण का प्रमाण भयानक होने की बात बताई गई है । वास्तव में अध्यादेश पारित होने से आज तक केवल १६ परिवाद प्रविष्ट हुए हैं । इस अधिनियमानुसार प्रविष्ट अपराध अप्रतिभू सम्मत होने वाले तथा अदखलपात्र हैं । ऐसी स्थिति में ७ परिवादों पर अपराध भी प्रविष्ट न होना, इस अध्यादेश की असफलता है ।
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