इस साल दिवाली की रोशनियां धीमी क्यों पड़ीं, उसको अगर मेरे राजनीतिक पंडित बंधु समझने की कोशिश करते, तो शायद मालूम हो जाता कि क्यों नरेंद्र मोदी को देखने-सुनने लाखों लोग जुट रहे हैं उनके जलसों में। पटना में उनकी रैली में सुबह से खबर रही होगी विस्फोटों की, क्योंकि पहला धमाका तो बहुत पहले हुआ था रेलवे स्टेशन पर, फिर भी लोग गांधी मैदान में इकट्ठा होते रहे। फिर खबर मिली कि मैदान के आसपास, मंच के करीब हो रहे हैं धमाके, तब भी लोग बैठे रहे, क्यों?
मैंने अपने आप से जब यह सवाल किया, तो याद आई वह बात, जो मुझे एक बुजुर्ग कानपुरवासी ने कही थी। मैंने उनसे पूछा कि वह मोदी को पसंद क्यों करते हैं, तो उन्होंने...
Labels:
कांग्रेस
,
तवलीन सिंह
,
नरेंद्र मोदी
,
लेख
,
सरदार पटेल