पटना से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित बिद्दूपुर, वैशाली में एक विश्वविद्यालय खोला जा रहा है जहां रामायण, गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों की पढ़ाई होगी। साथ ही रामायण आदि हिंदुओं के धार्मिक ग्रंथों से जुड़े शोध कार्य भी यहां किए जा सकेंगे। 5 साल के इस कोर्स में एस्ट्रोफीजिक्स, एस्ट्रॉनोमी, हिंदू माइथॉलोजी, वेद, उपनिषद संस्कृत, हिंदी, अन्य भारतीय तथा एशियाई भाषाओं में पढ़ाए जाएंगे। हिंदू ट्रस्ट द्वारा 25 एकड़ में 500 करोड़ की धनराशि से बनाए जाने वाले इस विश्वविद्यालय के लिए पटना के प्रसिद्ध महावीर मंदिर के सेक्त्रेटरी आचार्य किशोर कुणाल निर्माण कार्यभार संभाल रहे हैं। हालांकि अभी तक इसके बनने की कोई समय सीमा नहीं रखी गई है लेकिन आचार्य कुणाल के अनुसार जितनी जल्दी संभव होगा इसका निर्माण कार्य पूरा करने की कोशिश की जाएगी।
व्यावहारिक दृष्टिकोण से इसे संभावनाहीन बताने वाले भी इस परियोजना की पूरी जानकारी होने पर इसका विरोध नहीं कर सकेंगे। 2500 विद्यार्थियों के लिए सीटों की व्यवस्था के साथ इस विश्वविद्यालय में सभी आधुनिक सुविधाएं होंगी। साथ ही इसे रोजगारपरक भी बनाया जाएगा। विद्यार्थियों को यहां वाई-फाई की सुविधा भी दी जाएगी और विदेशी भाषाओं से भी उनके ज्ञान को जोड़ा जाएगा। आप सोच में पड़ गए कि धार्मिक ग्रंथों का विदेशी भाषाओं से क्या संबंध! चौंकिए मत! यह नालंदा विश्वविद्यालय की धरती है। ह्वेन सांग जैसे चीनी यात्री भी यहां आकर इसकी महिमा का गुणगान कर चुके हैं। इस विश्वविद्यालय में धर्म की इस शिक्षा को वैश्रि्वक स्वरूप देने के लिए रामायण, गीता, ज्योतिष आदि की पढ़ाई हिंदी, संस्कृत के अलावे कई विदेशी भाषाओं में भी कराई जाएगी।
इससे वैश्रि्वक स्तर पर इसके प्रसार के साथ ही तकनीक-सुलभ धर्म ज्ञान प्रशिक्षुओं को मिल सकेगा। साथ ही धर्म से जुड़े इन प्रशिक्षुओं के लिए वैश्रि्वक रोजगार की संभावनाएं भी उपलब्ध होंगी। यहां धार्मिक रीति-रिवाजों, पूजा-पाठ आदि संपन्न कराने के लिए भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। तो अगर आप ढोंगी बाबा या अल्पज्ञान पंडितों से तंग आ गए हैं तो कुछ वषरें का इंतजार कीजिए..हो सकता है जैसे लोग हॉवर्ड और ऑक्सफोर्ड की डिग्री दिखाकर अपने ज्ञान का सबूत देते हैं, इससे निकले प्रशिक्षु भी इससे पढ़ा पंडित होने का मार्क लेकर घूमें।
आप किशोर कुनाल को कितना जानते हैं याह तो नहीं पता यह आदमी लंबा फ्रॉड है ये राम जन्मभूमि बिरोधी आंदोलन का नरसिंघ राव का सेनापति था, नीतिशकुमर को एक संघ बिरोधी हिन्दू चाहिए था वह किशोर कुनाल के रूप मे मिल गया, अब वह वीएचपी को यह दिखा रहा की आप तो मंदिर नहीं बना पाये मई बना रहा हूँ, यहाँ कुछ नहीं होने वाला केवल ठगयी कर रहा है धन उगाही के अतिरिक्त कुछ नहीं महाबीर मंदिर को धार्मिक न्यास बोर्ड माँ नहीं रखा आपने ससुर के ब्लेक मनी को ह्वाइट मनी करना ही कम है।
ReplyDelete