नौ साल पहले नाबालिग हिंदू लड़की से शादी करने के बाद लापता हो गये और उसके साथ बलात्कार के आरोपी मुस्लिम युवक को दिल्ली उच्च न्यायालय से राहत मिली है। उच्च न्यायालय ने उसे बरी किये जाने के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि उनकी शादी में धर्म सबसे बड़ी बाधा था। दक्षिण पूर्व दिल्ली में हेयर सैलून चलाने वाले हासिम और 14 वर्षीय स्कूली छात्रा एक दूसरे से प्यार करते थे और दो बार घर से भाग गये थे।
अपने परिवारों के डर की वजह से दोनों साल 2005 में दिल्ली में निकाह करके तथा विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीकरण के लिए आवेदन करके मुरादाबाद चले गये थे। पुलिस ने उन्हें मुरादाबाद में खोज लिया। उन्हें दिल्ली वापस लाया गया जहां हासिम पर अपहरण और बलात्कार का मामला दर्ज किया गया वहीं लड़की की कहीं और शादी कर दी गयी। दिल्ली की एक निचली अदालत ने हासिम को बरी कर दिया था जिसके बाद पुलिस ने लड़की को नाबालिग बताते हुए उच्च न्यायालय में फैसले के खिलाफ अपील की थी।
उच्च न्यायालय ने आरोपी को बरी किये जाने के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा, ‘‘यह एक दुर्भाग्यपूर्ण मामला है जहां संभवत: लड़का और लड़की की शादी में उनके अलग-अलग धर्म बड़ी बाधा थी।’’ न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी और न्यायमूर्ति रेवा खेत्रपाल की पीठ ने 16 पन्नों के फैसले में कहा कि भागकर की गयी शादियों पर माता-पिता के विरोध की मुख्य वजह धर्म, जाति या सामाजिक स्तर में असमानता होती हैं।
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