जगन्नाथपुरी के इतिहास में शंकराचार्य ने परंपरा का पालन नहीं करते हुए रविवार को पहली बार रथयात्रा का बहिष्कार किया और भगवान जगन्नाथ, उनके बडे भाई बलभद्र तथा बहिन सुभद्रा जी के दर्शन नहीं किए।
पुरी मठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने शनिवार को पूरी में प्रेस कांफ्रेंस में रथयात्रा में शामिल नहीं होने तथा भगवान के दर्शन करने की घोषणा करते हुए कहा था कि मैं राज्य सरकार का आदेश नहीं मानूंगा और रथ यात्रा के दौरान भगवान के दर्शन करने के लिए नहीं जाऊंगा।
शंकराचार्य ने आरोप लगया कि मंदिर समिति तथा राज्य सरकार कुछ ऎसे लोगों के इशारे पर काम कर रही है जिनका मकसद हिंदू संस्थानों तथा पीठ का अपमान करना है और कुछ लोगोें को फायदा पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि जगन्नाथ मंदिर समिति प्रशासन ने उन्हें एक पत्र भेजा है जिसमें उन्हें रथ यात्रा के दिन भगवान के दर्शन के लिए अकेले आने के लिए कहा गया।
इस बीच भारतीय जनता पार्टी की ओडिशा इकाई की उपाध्यक्ष सुरमा पाढी ने राज्य सरकार द्वारा शंकराचार्य को निर्देश दिए जाने को शंकराचार्य एवं हिन्दु परंपरा का अपमान बताया। उन्होंने सरकार के इस कदम की निंदा करते हुए शंकराचार्य से क्षमा याचना की मांग की।
उन्होंने कहा कि इस तरह से मंदिर प्रशासन ने हिंदू परंपरा का उल्लंघन किया है और हिंदू धर्म के कार्यो में हस्तक्षेप किया गया है। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य कोई व्यक्ति नहीं है बल्कि यह हिंदू पीठ है और यह शर्म की बात है कि हिंदू पीठ के शीर्ष पर बैठा व्यक्ति प्रशासन के इशारे पर काम कर रहा है।
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