केंद्र सरकार ने स्विस बैंक में अकाउंट रखने वाले 627 भारतीयों के नाम सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिए हैं। नामों के साथ इन लोगों के खिलाफ अब तक हुई जांच की स्टेटस रिपोर्ट भी दाखिल की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि लिस्ट में एचएसबीसी बैंक की जिनीवा ब्रांच में खाता रखने वाले भारतीयों के नाम हैं, जो भारत सरकार को फ्रांस की सरकार की ओर मिले थे।
इससे पहले सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को तीन नाम बताए थे। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद केंद्र सरकार विदेशी बैंकों के खाताधारकों की सूची सौंपने को राजी हो गई थी। केंद्र की ओर से वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि सभी खाताधारकों के नाम 27 जून को एसआईटी को दे दिए गए थे, उसे सुप्रीम कोर्ट को भी सौंप दिया जाएगा।
अटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने अदालत की कार्यवाही की जानकारी देते हुए कहा, 'सरकार ने एचएसबीसी के सारे अकाउंट की लिस्ट सौंप दी है। इसमें 627 या 628 नाम हैं। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद लिफाफे को नहीं खोलने का फैसला किया और इसे एसआईटी के पास आज ही भेजने का निर्देश दिया।' उन्होंने कहा कि इस लिस्ट में करीब आधे नाम भारतीय नागरिकों के हैं, जबकि आधे प्रवासी भारतीय हैं।
उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के सामने हमने दूसरे देशों से हुईं संधियों का जिक्र किया, इस पर निर्देश दिया गया कि सरकार अपनी समस्या एसआईटी के सामने रखे। अटर्नी जनरल ने कहा कि हमने कोर्ट को कल भी और आज भी बताया कि एसाईटी को सरकार 27 जून को यह लिस्ट सौंप चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को निर्देश दिया कि वह 30 नवंबर तक पूरे मामले की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे।
सरकार ने बुधवार को कोर्ट को तीन सीलबंद लिफाफे सौंपे हैं। इनमें से पहले लिफाफे में दूसरे देशों के साथ हुई संधि के कागजात हैं। दूसरे लिफाफे में विदेशी खाताधारकों के नाम हैं, जबकि तीसरे लिफाफे में जांच की स्टेटस रिपोर्ट है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इसमें साल 2006 तक की एंट्री है। इसकी वजह यह है कि स्विस अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि ये इनपुट्स चोरी की जानकारी के आधार पर हासिल किए गए हैं।
एचएसबीसी से यह लिस्ट उसके किसी पूर्व कर्मचारी ने साल 2006 चुरा ली थी और भारत को यह फ्रांस से साल 2011 में मिली। इस लिस्ट में चार तरह की सूचनाएं हैं- नाम, पता, अकाउंट नंबर और खाते में जमा राशि। नाम और अड्रेस के मिलान के बाद 136 लोगों या प्रतिष्ठानों ने अकाउंट होने की बात मान ली है।
हालांकि, इनमें से कई का कहना है कि उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं थी लेकिन वे टैक्स और जुर्माना चुकाने को तैयार हैं। 418 में से 12 अड्रेस कोलकाता के हैं, लेकिन छह ने ही माना है कि उनका अकाउंट है। खाताधारकों की लिस्ट में सबसे ज्यादा रकम वाला अकाउंट 1.8 करोड़ डॉलर वाला है, जो देश के दो नामी उद्योगपतियों के नाम से है। इस लिस्ट में सबसे ज्यादा नाम मेहता और पटेल सरनेम के साथ हैं।
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