आज केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली, केंद्रीय संचार एवं आईटी मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद, वित्त राज्य मंत्री श्री जयंत सिन्हा एवं अन्य लोगों की मौजूदगी में किसान विकास पत्र (केवीपी) फिर से लांच करेंगे। सत्ता संभालने के वक्त नई सरकार की प्राथमिकताओं में बचत दर बढ़ाना भी शामिल था। जोरदार मांग और अल्प बचत में नई जान फूंकने की जरूरत को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण के 27वें पैराग्राफ में घोषणा की थी कि छोटी बचत वालों के बीच काफी लोकप्रिय किसान विकास पत्र को फिर से लांच किया जाएगा। यह प्रपत्र उन सभी लोगों को आकर्षित करेगा जिनकी निवेश योग्य बचत राशि या तो बैंकों में है या खुद के पास रखी हुई है। इसे ही ध्यान में रखते हुए किसान विकास पत्र को फिर से जारी करने का निर्णय लिया गया है। सभी राष्ट्रीय बचत योजनाओं (एनएसएस) से संबंधित केवाईसी मानक जनवरी 2012 से ही डाकघरों और बैंकों में लागू हैं।
फिर से लांच किए जाने वाला किसान विकास पत्र निवेशकों के लिए 1000, 5000, 10000 और 50000 रुपए के मूल्य वर्ग में उपलब्ध होगा। इसमें निवेश की कोई ऊपरी सीमा तय नहीं की गई है। इन्हें एकल अथवा संयुक्त नामों से जारी किया जा सकता है और इन्हें एक व्यक्ति से किसी दूसरे व्यक्ति/व्यक्तियों को कई बार हस्तांरित किया जा सकता है। एक डाकघर से देश भर में कहीं भी स्थित दूसरे डाकघर में इसे हस्तांतरित करने की सुविधा होगी। इसी तरह किसी एक मनोनीत व्यक्ति से दूसरे मनोनीत व्यक्ति को हस्तांतरित करने की भी सुविधा होगी। बैंकों से कर्ज लेने के लिए किसान विकास पत्र को बतौर गिरवी भी रखा जा सकेगा। इसी तरह जहां भी रेहन की जरूरत पड़ेगी वहां किसान विकास पत्र को गिरवी रखा जा सकेगा। आरंभ में इनकी बिक्री केवल डाकघरों के जरिए होगी, लेकिन बाद में इन्हें राष्ट्रीयकृत बैंकों की अधिकृत शाखाओं के जरिए भी निवेश करने वाले लोगों को मुहैया कराया जाएगा।
किसान विकास पत्र में तरलता की अनूठी सुविधा है। अगर किसी निवेशक को जरूरत महसूस होती है तो वह ढाई साल की लॉक-इन अवधि के बाद और फिर छह माह की किसी भी समयावधि के बाद पूर्व निर्धारित परिपक्वता मूल्य पर अपने किसान विकास पत्र का नकदीकरण कर सकेगा। किसान विकास पत्र में किया गया निवेश 100 महीनों में दोगुना हो जाएगा।
किसान विकास पत्र योजना छोटे निवेशकों को धोखाधड़ी वाली स्कीमों से दूर रखने में भी मददगार साबित होगी। किसान विकास पत्र की परिपक्वता अवधि 8 साल 4 माह होने के कारण इस योजना के तहत सरकार को काफी लंबी अवधि के लिए राशि मिलेगी, जिसका इस्तेमाल केंद्र एवं राज्य सरकारों की विकास योजनाओं के वित्त पोषण में किया जा सकेगा। यही नहीं, इससे देश में घरेलू पारिवारिक वित्तीय बचत को भी बढ़ाने में सहायता मिलेगी।
किसान विकास पत्र दरअसल एक प्रमाण पत्र बचत स्कीम है, जिसे सरकार ने 1 अप्रैल, 1988 को लांच किया था। जब इसे लांच किया गया था तो योजना के तहत परिपक्वता अवधि साढ़े पांच साल होती थी और परिपक्वता पर ही निवेश की गई राशि दोगुनी हो जाती थी। यह योजना निवेशकों के बीच बेहद लोकप्रिय रही थी। वर्ष 2010-11 में इस योजना के तहत 21631.16 करोड़ रुपए का सकल संग्रह हुआ था, जो उस वर्ष हुए कुल सकल संग्रह का 9 फीसदी था।
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