राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड- एनडीडीबी ने 12 राज्यों में 22,102.72 लाख रुपये के कुल परिव्यय की 42 डेयरी परियोजनाओं को मंजूरी दी है। ये राज्य हैं बिहार, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, और पश्चिम बंगाल। कुल परिव्यय की राशि में से 15,895.02 लाख रुपये अनुदान राहत और 6,207.70 लाख रुपये अंतिम छोर पर कार्यान्वयन एजेंसियों का हिस्सा होंगे। केंद्रीय कृषि मंत्री श्री राधामोहन सिंह के विशेष प्रयासों और पहल से यह संभव हो सका है।
ये 42 उप-परियोजनाएं चारा विकास (9 परियोजनाएं), राशन संतुलन कार्यक्रम (13 परियोजनाएं), गांव आधारित दुग्ध वसूली प्रणाली (14 परियोजनाएं), भ्रूण स्थानांतरण (4 परियोजनाएं), भैंसों का आयात (एक परियोजना) और वीर्य केंद्र की मजबूती (1 परियोजना) जैसी गतिविधियों के लिए क्रियान्वित की जाएंगी। इन परियोजनाओं को मार्च 2012 में शुरू की गई राष्ट्रीय डेयरी योजना-1 के अंतर्गत मंजूरी दी गई है।
राष्ट्रीय डेयरी योजना-1 को निम्नलिखित उद्देश्यों को 2011-12 से 2016-17 के बीच अमल में लाने के लिए शुरू किया गया-
•दुधारू पशुओं की उत्पादकता बढ़ा कर दुग्ध उत्पादन में वृद्धि करते हुए दूध की बढ़ती मांग को तेजी से पूरा करना।
•संगठित दुग्ध प्रसंस्करण क्षेत्र तक अधिक पहुंच के लिए ग्रामीण दुग्ध उत्पादकों को सहायता प्रदान करना।
यह स्कीम राज्य सरकारों, राज्य पशु धन बोर्ड, राज्य सरकारी डेयरी परिसंघों, जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघों, उत्पादक कंपनियों, न्यासों (एनजीओ, धारा 25 कंपनियों), वैधानिक संस्थानों की सहायक कंपनियों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद संस्थानों और पशु चिकित्सा/डेयरी संस्थाओं/विश्वविद्यालयों और योजना के अंतर्गत स्थापित राष्ट्रीय संचालन समिति द्वारा तय किए गए अन्य संगठनों के अंतिम छोर पर कार्यान्वयन एजेंसियां के जरिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा क्रियान्वित की जा रही है।
राष्ट्रीय डेयरी योजना-1 प्रमुख दुग्ध उत्पादक 14 राज्यों- उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु आंध्र प्रदेश, ओडिशा और केरल पर विशेष ध्यान केंद्रित करेगा। इन राज्यों में कुल दुग्ध का 90 प्रतिशत उत्पादन होता है। स्कीम से होने वाले फायदों की दृष्टि से राष्ट्रीय डेयरी योजना-1 की कवरेज हालांकि पूरे देश में रहेगी।
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