केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने देश में नदियों को जोड़ने की परियोजना को तीव्र गति से अमल में लाने का आह्वान किया है। अपने मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की बैठक को संबोधित करते हुए मंत्री महोदया ने कहा कि नदियों को जोड़ने से संबंधित राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के अनुसार इससे 35 मिलियन हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी, जिससे देश में सिंचाई सुविधा प्राप्त भूमि का क्षेत्रफल 140 मिलियन हेक्टेयर से बढ़कर 175 मिलियन हेक्टेयर हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे बाढ़ नियंत्रण, नौवहन, जलापूर्ति, मत्स्य पालन, लवणता एंव प्रदूषण नियंत्रण आदि लाभों के अलावा 34 हजार मेगावाट अतिरिक्त बिजली का भी उत्पादन हो सकेगा। सुश्री भारती ने कहा कि ‘‘नदियों को जोड़ने की परियोजना राष्ट्रीय महत्व की है और इसका उद्देश्य देश में जल के समान वितरण को सुनिश्चित करना है, जिससे बाढ़ और सूखे से प्रभावित क्षेत्रों को विशेष लाभ होगा। मैं इस राष्ट्रीय महत्व के कार्य में सभी राज्यों के सहयोग की अपील करती हूं।’’ उन्होंने कहा कि इससे देश का खाद्य उत्पादन बढ़ेगा और रोजगार के नये अवसर भी पैदा होंगे, जिससे देश में समृद्धि आएगी।
सुश्री भारती ने सदस्यों को बताया कि राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी ने अब तक देश में नदियों को जोड़ने के 30 संपर्कों की पहचान की है, जिनमें से 16 संपर्क प्रायद्वीपीय क्षेत्र के हैं और 14 अन्य हिमालयी क्षेत्र के। उन्होंने कहा कि इनमें से प्रायद्वीपीय क्षेत्र के 14 संपर्कों और हिमालयी क्षेत्र के 2 संपर्कों (भारतीय भाग) की साध्यता रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। 7 अन्य संपर्कों का सर्वेक्षण एवं अन्वेषण कार्य पूरा किया जा चुका है और इनकी साध्यता रिपोर्ट का मसौदा तैयार हो गया है।
मंत्री महोदया ने सदस्यों को बताया कि विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने का कार्य शुरू करने के लिए पांच प्राद्वीपीय संपर्कों नामत: 1- केन-बेतवा, 2- पार्वती-कालीसिंध-चंबल 3- दमनगंगा-पिंजाल, 4- पार-तापी-नर्मदा और 5- गोदावरी (पोलावरम)-कृष्णा (विजयवाड़ा) को प्राथमिकता संपर्कों के रूप में चिन्हित किया गया है। केन-बेतवा संपर्क पर काम भी शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि दमनगंगा-पिंजाल संपर्क की डीपीआर पूरी हो चुकी है और यह आगे की कार्रवाई हेतु अप्रैल, 2014 में महाराष्ट्र और गुजरात सरकार को प्रस्तुत कर दी गई है। पार-तापी-नर्मदा संपर्क की डीपीआर तैयार की जा रही है और यह मार्च, 2015 तक पूरी कर ली जाएगी।
सुश्री भारती ने कहा कि राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी को अंत:राज्यीय संपर्कों के बारे में 46 प्रस्ताव मिले हैं। इनमें से 33 अंत:राज्यीय संपर्कों की पीएफआर पूरी हो चुकी हैं और वे संबंधित राज्य सरकारों को भेजी जा चुकी हैं। बिहार सरकार के अनुरोध पर एजेंसी ने क्रमश: दिसंबर, 2013 और मार्च, 2013 में बूढ़ी गण्डक-नून-बया-गंगा अंत:राज्यीय संपर्क परियोजना और कोसी-मेची संपर्क परियोजना की डीपीआर तैयार करके उसे आगे की कार्रवाई के लिए राज्य सरकार को भेज दिया है। महाराष्ट्र, तमिनाडु और झारखंड के लिए एक-एक अंत:राज्यीय संपर्क की डीपीआर तैयार की जा रही है।
बैठक में भाग लेने वाले सांसदों ने एक स्वर में नदियों को जोड़ने की परियोजना पर अपना समर्थन जताया। उनका कहना था कि सरकार को इस कार्यक्रम को एक मिशन के तौर पर लेना चाहिए और इसे एक निश्चित समय सीमा में पूरा करना चाहिए। एक सदस्य का कहना था कि कुछ क्षेत्रों में इस कार्यक्रम को लेकर व्यक्त की गई शंकाओं के कारण इसे लेकर पर्याप्त गंभीरता का वातावरण नहीं बन पा रहा है। एक अन्य सदस्य का कहना था कि इस परियोजना को लागू करते समय हमें इसके पर्यावरणीय, पारिस्थितिकीय और सामाजिक पहलुओं को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। एक अन्य सदस्य का सुझाव था कि सरकार को नदियों के राष्ट्रीयकरण पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। सदस्यों ने कृष्णा-गोदावरी संपर्क, गंगा-गोमती संपर्क, शारदा-यमुना संपर्क, पिंडारी-कोसी संपर्क, नदियों को जोड़ते समय रबड़ बांधों का निर्माण और बिहार की फल्गु नदी को जोड़ने जैसे कुछ अन्य सुझाव भी दिए।
सदस्यों को उनके सुझावों के लिए धन्यवाद देते हुए सुश्री उमा भारती ने उनसे अनुरोध किया कि वे संसद के दोनों सदनों में नदियों को जोड़ने की परियोजना से संबंधित मुद्दे और प्रश्न उठाएं ताकि देश का ध्यान इस ओर आकर्षित हो।
निम्नलिखित सदस्यों ने बैठक में भाग लिया –
श्री ए टी नाना पाटिल, श्री अधिर रंजन चौधरी, श्री अजय टमटा, श्रीमती अंजु बाला, श्री बहादुर सिंह कोली, श्री धर्मबीर भालेराम, श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, श्री हेमंत तुकाराम गोडसे, डॉ. कृष्ण प्रताप सिंह, श्री कृस्तपा निम्मला, श्रीमती रक्षा निखिल खडसे, श्री सुनील कुमार मंडल, श्री अश्विनी कुमार चौबे (सभी लोकसभा से) और श्री राम नारायण दुड़ी (राज्यसभा)।
केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट, मंत्रालय के सचिव श्री अनुज कुमार बिश्नोई और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी बैठक में भाग लिया।
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