केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास व गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा है कि गंगा संरक्षण के बारे में उन्होंने प्रधानमंत्री को 21 बिंदु विचारार्थ भेजे हैं। विश्व वन्यजीव कोष द्वारा आयोजित भारत नदी सप्ताह, 2014 के समापन सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय यह सुनिश्चित करेगा कि गंगा में शोधित या अशोधित, किसी भी प्रकार का जल न जाए। सुश्री भारती ने उद्योगों से कहा कि वे नदी से जल लेने के बजाय अपने शोधित जल का ही इस्तेमाल करें।
उन्होंने कहा कि गंगा की अविरलता व निर्मलता सुनिश्चित करने के लिए समयबद्ध कार्यक्रम की घोषणा शीघ्र की जाएगी। मंत्री महोदया ने यह भी कहा कि नदियों में साल भर जल का प्रवाह बना रहे, यह भी मौसम के हिसाब से सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम किसी भी हालत में नदियों को नष्ट नहीं होने देंगे। नदियां हजारों वर्ष में स्वाभाविक रूप से अपने स्वरूप का निर्माण करती हैं, उनकी तुलना में बांधों का जीवन कुछ भी नहीं होता। उन्होंने कहा कि आगे बनाए जाने वाले बांधों मे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मूल नदी की एक अविरल धारा कायम रहे। मौजूदा बांधों से भी मूल नदी की एक अविरल धारा के बारे में अध्ययन किया जा रहा है।’’
मंत्री महोदया ने कहा कि विकास व आस्था के बीच बेहतर तालमेल के अभाव में नदियों के सामने विकराल संकट खड़ा हो गया है। नदियों मे बढ़ते हुए आर्सोनिक की समस्या का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इसका मूल कारण पर्यावरण की अनदेखी करते हुए किया गया अंधाधुंध विकास है। इसलिए जरूरी है कि नदियों के स्वरूप के अनुसार उनके तटों पर वृक्ष व वनस्पतियां लगाइ जाएं।
नदी जोड़ो कार्यक्रम की आलोचनाओं का उल्लेख करते हुए सुश्री भारती ने कहा कि इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन में हम पर्यावरणविदों की सलाह लेकर ही आगे बढ़ेगें। साथ ही उन्होंने यह भी कहा देश में भुखमरी व गरीबी मिटाने के लिए यह कार्यक्रम बहुत ही लाभकारी सिद्द होगा।
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