इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अखिलेश यादव सरकार से एक ऐसे मामले पर जवाब देने को कहा है, जो उनके लिए मुसीबत बन सकता है।
धर्म के आधार पर लंबे समय से हो रही राजनीति कैसे लखनऊ महोत्सव से जाहिर हो रही है, इसका अंदाजा भी कोर्ट के इस सवाल से लगाया जा सकता है।
दरअसल, कोर्ट ने हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस का तरह से दर्ज याचिका को गंभीरता से लेते हुए लखनऊ महोत्सव में इसाई और मुस्लिम संस्कृति की मौजूदगी, लेकिन हिंदू संस्कृति और खासकर भगवान लक्ष्मण की गैर-मौजूदगी पर सवाल उठा दिया है।
गौरतलब है कि लखनऊ का नाम भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण के नाम पर ही पड़ा था। हालांकि, अब तक के ज्यादातर लखनऊ महोत्सव से खुद लक्ष्मण ही गायब कर दिए जाते रहे।
इस याचिका में हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस के वकीलों ने कहा है कि लखनऊ महोत्सव में मुख्यतः मुस्लिम और ईसाई धर्म को प्राथमिकता दी जा रही है।
वकीलों का तर्क यह भी है कि जिस तरह से इस महोत्सव का प्रचार-प्रसार हो रहा है उससे यही लग रहा है, इसमें हिंदू धर्म कहीं नहीं है। लखनऊ का नाम जिस लखन यानि लक्ष्मण के नाम पर पड़ा, उसी को सरकार ने नजरअंदाज कर दिया है।
ऐसे में जस्टिस इम्तियाज मुर्तजा और जस्टिस रितुराज अवस्थी की बेंच ने 17 नवंबर तक प्रदेश सरकार को अपना पक्ष रखने को कहा है।
प्रदेश सरकार को इस तारीख तक अपने पक्ष में उन सभी प्रचार प्रसार की सामग्रियों को प्रस्तुत करना होगा। सरकार को इस बात को साबित करना होगा कि प्रचार में हिंदू धर्म को भी रखा गया है।
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